पिछड़े जखनियां को शिक्षा की राह दिखाने वाले ब्रह्मलीन संत को किया याद, पुण्यतिथि पर दी गई श्रद्धांजलि





जखनियां। क्षेत्र के भुड़कुड़ा स्थित सिद्धपीठ में ब्रह्मलीन महन्थ रामाश्रय दास महाराज की 14वीं पुण्यतिथि वर्चुअल ढंग से मनाई गई। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भुड़कुड़ा पीजी कॉलेज के प्रवक्ता डॉ संतोष कुमार मिश्रा ने कहा कि ब्रह्मलीन महंथ सच्चे साधक थे। पीठ के सद्गुरुओं का अनुसरण करते हुए जीवन पर्यन्त मठ की देखरेख करते रहे। कहा कि सन्त तो वास्तव में पंछियों जैसे होते हैं। कहा कि बाल्यकाल में ही रामाश्रय दास नाराज होकर अपने बस्ती जनपद के पंचपोखरी गांव से बनारस के लिए निकले थे लेकिन वो भुड़कुड़ा आ गए। यहां गुरु कृपा से उन्हें आठों पहर संगीत का अनहद नाद सुनाई देने लगा। जिसके बाद वो यहीं के होकर रह गए। कहा कि अपने जीवनकाल में शिक्षा का प्रसार करने के साथ ही सामाजिक बदलाव और बेहतरी के लिए भी कार्य किया। ब्रह्मलीन महंथ ने 49 साल पूर्व जखनियां जैसे अति पिछड़े क्षेत्र में आमजन के लिए उच्च शिक्षा के उद्देश्य से संतों की तपस्थली भुड़कुड़ा में महाविद्यालय की स्थापना की। उक्त महाविद्यालय आज पूरे पूर्वांचल में प्रख्यात है। कहा कि जीवन भर त्याग करने के बाद 2008 में आज ही के दिन उन्होंने शरीर भी त्याग दिया। इस मौके पर पीठ के महंथ शत्रुघ्न दास, अश्वनी सिंह, विजय बहादुर सिंह, चंद्रभान मिश्र, शिवानंद पांडेय, प्रदीप यादव आदि ने हिस्सा लिया।



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