खेल जगत के ‘द्रोणाचार्य’ को कोरोना ने दी मात, भारत को कई हॉकी खिलाड़ी देने वाले ठाकुर तेज बहादुर सिंह के निधन से पूरे पूर्वांचल में शोक
सैदपुर। पूर्वांचल के खेल जगत में द्रोणाचार्य के नाम से विख्यात मेघबरन सिंह हॉकी स्टेडियम के प्रबंधक व पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह के बड़े भाई तेजबहादुर सिंह उर्फ तेजू का कोरोना संक्रमण के चलते शुक्रवार को वाराणसी स्थित बीएचयू में निधन हो गया। वो 70 साल के थे। बीते 22 अप्रैल को ही वो कोरोना से ग्रसित होकर बीएचयू में भर्ती हुए थे। शुक्रवार की दोपहर में तेजबहादुर सिंह के निधन का खबर मिलते ही जिले में शोक की लहर दौड़ गई। पहले तो लोगों ने इसे अफवाह समझा, क्योंकि उनके बीमार होने के बाद से ही जिले में इस तरह की अफवाह उड़ रही थी। सूचना मिलने के बाद लोग अपने-अपने स्तर से सूचना को पुष्ट करने में जुट गए और पुष्ट होने के बाद शोकग्रस्त हो गए। निधन के बाद उनके भाई राधेमोहन सिंह, रमाशंकर उर्फ हिरन सिंह एवं गंगा सागर सिंह समेत पूरा परिवार बीएचयू पहुंच गया। वहां भी घर के अभिभावक के निधन पर बिलख रहे थे। गौरतलब है कि स्व. तेजबहादुर सिंह बेहद हृष्ट-पुष्ट थे और रोजाना हॉकी खिलाड़ियों के साथ हॉकी खेलते थे साथ ही अखाड़े में भी जाते थे। रोजाना टहलना उनकी दिनचर्या में शामिल था। लेकिन बीते 10 दिन पहले ही उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। 22 अप्रैल को वाराणसी में जांच में वो कोरोना संक्रमित पाए गए। जिसके बाद परिजन उन्हें एयर एंबुलेंस से हैदराबाद ले जाने की तैयारी कर रहे थे। इसके लिए पंचमुखी एयर एंड एंबुलेंस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को 19 लाख रुपये भुगतान करने के बाद एयर एंबुलेंस मंगाया गया लेकिन उसमें ऑक्सीजन की कमी देख परिजनों ने ऐतराज किया। जिसके बाद एंबुलेंस कर्मी ने तेजबहादुर सिंह को उतार दिया और पायलट एंबुलेंस छोड़कर चला गया। इसके बाद तेजबहादुर सिंह को बीएचयू में बने कोरोना सेंटर में भर्ती कराया गया। वहां इलाज के दौरान शुक्रवार की दोपहर उनका निधन हो गया। छोटे भाई पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह ने बताया कि शव लेने के लिए अभी बातचीत चल रही है। शव लेकर करमपुर आएंगे। इधर तेजबहादुर सिंह के मौत का पता चलते ही करमपुर स्थित उनके आवास पर भीड़ जुट गई। सभी अपने अभिभावक के जाने से बिलख रहे थे। गौरतलब है कि करमपुर गांव में जन्मे तेजबहादुर सिंह का बचपन से ही खेल के प्रति लगाव था। जब वो युवा हुए तो हॉकी खेलने लगे। ये उनका हॉकी से बेहद लगाव ही था कि उन्होंने अपनी जमीन पर क्षेत्रीय प्रतिभाओं के लिए हॉकी स्टेडियम बनवा दिया। जहां वर्ष 1985 से रोजाना सैकड़ों बच्चे आकर हॉकी खेलते। उनमें से कमजोर बच्चों को तेजबहादुर सिंह द्वारा हॉकी स्टिक समेत हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई जाती थी। पूरे पूर्वांचल में हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले मेघबरन सिंह स्टेडियम में बिना किसी भेदभाव के गरीब परिवारों के सैकड़ों बच्चों ने हॉकी की बारीकियां सीखीं और आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। करमपुर स्टेडियम से खेलकर निकले अजीत पांडेय ने भारत को जूनियर विश्व कप में जीत दिलाई। वहीं ललित उपाध्याय, राजकुमार पाल समेत करीब चार खिलाड़ी आज हॉकी इंडिया का हिस्सा हैं। इसके अलावा विनोद सैनी, शशिकांत राजभर, राहुल राजभर, संदीप सिंह, जमीला बानो, कंचन राजभर के अलावा सैकड़ों खिलाड़ी अलग-अलग संस्थाओं में देश के कोने-कोने में अपनी प्रतिभा बिखेरते हुए जिले का नाम रोशन कर रहे हैं। जूनियर हॉकी टीम में भी करमपुर के कई खिलाड़ी हैं। इसके अलावा रेलवे, सेना समेत कई विभाग के हॉकी टीमों में करमपुर स्टेडियम से निकले खिलाड़ी शामिल हैं। करमपुर स्टेडियम से हॉकी सीखने वाले हजारों खिलाड़ी खेल कोटा से विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। तेजबहादुर सिंह द्वारा अब तक 25 बार अखिल भारतीय मेघबरन सिंह स्मारक ईनामी हाकी प्रतियोगिता का आयोजन कराया जा चुका है। खिलाड़ियों को जीवन भर हॉकी का ककहरा सिखाने वाले स्व. तेजबहादुर सिंह का यही सपना था कि कि करमपुर स्टेडियम में एक एस्ट्रोटर्फ लग जाए, ताकि यहां खेलने वाले खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को ज्यादा निखार मिले। जिसके बाद उनके छोटे भाई राधेमोहन सिंह ने गाजीपुर का सांसद बनकर उनके इस सपने को पंख लगाया और सांसद रहते हुए उन्होंने करमपुर स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ लगवाने का प्रस्ताव पास कराया। करीब 6 करोड़ की लागत से जब एस्ट्रोटर्फ लगा तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने करमपुर आकर एस्ट्रोटर्फ का उद्धाटन किया। उक्त टर्फ पर आज के समय में हर साल हॉकी टूर्नामेंट होते हैं और ये उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा टर्फ है जो किसी गांव में लगा है। स्व. तेजबहादुर सिंह के 22 अप्रैल से अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही उनके स्वास्थ्य के लिए दुआएं होती रहीं। यहां तक कि सेक्टर 1 में जिला पंचायत सदस्य पद की प्रत्याशी अंजना सिंह के चुनाव लड़ने के बावजूद राधेमोहन सिंह पत्नी के चुनाव को छोड़कर अस्पताल में रहे। चुनाव के अंतिम दौर में वो वापस लौटे और चुनाव में शामिल हुए। स्व. सिंह के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ही उनके छोटे भाई रमाशंकर सिंह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो लगाया, जिसमें वो बोल रहे थे कि ‘ठीक हो गयल हई, जल्दिए आईब।’ लेकिन किसी को क्या पता था कि लोग ये उनकी आखिरी बार आवाज सुन रहे हैं। उनके निधन का पता चलते ही पूरा सोशल मीडिया शोक संदेश से पट गया। कोई द्रोणाचार्य बोलकर संवेदना व्यक्त कर रहा था तो कोई महान इंसान। तेजबहादुर सिंह की लोकप्रियता सोशल मीडिया पर दिखी। सामान्य इंसान से लेकर चर्चित नेताओं तक सोशल मीडिया के माध्यम से संवेदना व्यक्त की। विधायक सुभाष पासी ने इसे अपनी व्यक्तिगत क्षति बताते हुए कहा कि आज मन बेहद उद्धेलित है।