दशकों से चली आ रही नीतियों के चलते किसानों को मिला घाटा ही घाटा, यूरोपीय देशों के मुकाबले तंग है भारत का किसान - जगदीश सिंह





बहरियाबाद। क्षेत्र स्थित केन्द्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय के गांव मिर्जापुर में मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन की एक पंचायत हुई। यूनियन के पूर्व प्रांतीय प्रवक्ता जगदीश सिंह ने कहा कि शासन तंत्र किसानों के प्रति पूरी तरह से उदासीन एवं संवेदन शून्य हो चुका है। देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 1967 में लागू हुआ। जब गेहूँ का मूल्य रूपये 67 प्रति क्विंटल था। उस समय प्रति 10 ग्राम सोने का मूल्य 200 रूपए था। जो कि आज किसानों के बदहाली का मुख्य कारण है। कहा कि सवाल समर्थन मूल्य का नहीं बल्कि दशकों से चली आ रही खाद्यान्नों के आयात-निर्यात व मार्केटिंग के सम्पूर्ण नीति का है। सरकार की नीतियों के चलते विगत वर्षों में किसानों का सिर्फ घाटा ही घाटा हुआ है। सवाल उठता है कि हर साल हजारों करोड़ रुपये खाद की सब्सिडी के बावजूद आखिर खेती घाटे का सौदा क्यों बन गई है? पंचायत की अध्यक्षता कर रहे यूनियन के जिलाध्यक्ष पवन कुमार सिंह ने कहा कि देश में 6 हजार रुपये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि किसानों को दिया जाता है। जबकि यूरोपीय देशों में प्रति हेक्टेयर रूपये 1.20 लाख किसानों को अनुदान मिलता है। लावारिस पशुओं से किसानों को हो रहे नुकसान का मुआवजा तक नहीं मिलता है। इस मौके पर सुमित सिंह सन्नी, राजन सिंह, हितेश कन्नौजिया, विक्की विश्वकर्मा, मनीष प्रजापति, अनिकेत खरवार, अतुल गुप्ता, प्रवेश विश्वकर्मा, तिलकधारी मौर्य, प्रभाकर, शिवम आदि रहे।



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