इंसाफ के लिए शहीद हुए थे हजरत इमाम, याद में निकले ताजिया

नंदगंज। मुहर्रम की आखिरी तारीख को गमजदा माहौल में जुलूस निकालकर कर्बला में ताजिया दफनाए गये। या हुसैन की सदाओं के बीच सीनाजनी करते हुए मुस्लिम समाज के लोगों ने ताजिए का जुलूस निकाला और कर्बला में जाकर ताजिया को दफन किया। मोहर्रम का महीना हजरत इमाम व उनके 72 साथियों की कर्बला में भूख और प्यास से हुई मौत की याद में निकाला जाता है।

यजीदी सेनाओं ने कर्बला के मैदान के रेगिस्तानी इलाके में हजरत इमाम और उनके 72 साथियों को चारो तरफ से घेर लिया और पानी व रसद तक नहीं पहुंचने दिया। खुले मैदान में भूख प्यास से तड़प-तड़प कर हजरत इमाम और उनके 72 साथियों ने एक-एक कर खुदा की राह पर चलने की दुआ करते हुए मौत को गले लगा लिया। नंदगंज व आसपास के शिया मुसलमानों ने विभिन्न मोहल्लों से ताजिया का जुलूस निकाला तथा कर्बला में जाकर उन्हें दफन किया। इसी तरह सौरम, बरहपुर, सबुआं, पचारा, रहीमपुर, खानकाह कलां, श्रीगंज, कुर्बानसराय, नसीरपुर, नैसारा आदि गांवों के कर्बला में भी ताजिए दफन किए गए।