नवजात बच्चों के लिए संजीवनी बना जिला महिला अस्पताल का एसएनसीयू यूनिट, 2 साल में बचा चुका है 2 हजार बच्चों की जान





ग़ाज़ीपुर। जिला महिला चिकित्सालय में करोड़ों रुपए की लागत से बना एसएनसीयू (सिक-न्यू बार्न केयर यूनिट) इन दिनों नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। पिछले दो सालों में इस यूनिट में सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों से रेफर किए हुए करीब 2000 नवजात बच्चों की अब तक जान बचाई जा चुकी है। इसकी गुणवत्ता और कार्य की प्रगति की जांच करने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ जीसी मौर्य जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ विनीता जायसवाल के साथ पहुंचे। सीएमओ ने बताया कि निरीक्षण के दौरान चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक तिवारी व अन्य स्टाफ अपने कार्य में लगे हुए मिले तथा वार्ड में 12 बच्चे भर्ती मिले। जिसमें केएमसी एवं स्टेप डाउन में पांच बच्चे भर्ती मिले। इस दौरान वहां पर तैनात कर्मचारियों को रोगियों के परिजनों से बेहतर व्यवहार का निर्देश भी दिया गया। बताया कि नवजात शिशुओं के इलाज के लिए जिला महिला अस्पताल में बनाए गए 12 बेड का ये यूनिट 3 साल पहले शुरू किया गया था। 12 बेड के इस आधुनिक वार्ड में नवजात शिशुओं के उपचार के लिए आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। बताया कि जन्म के बाद कुछ शिशुओं में कम वजन और बहुत अधिक बीमार होने की समस्या सामने आती है तो ऐसे में उनको सघन चिकित्सा की जरूरत होती है। अब तक जिले के बाहर निजी नर्सिंग होम पर ही यह सुविधा उपलब्ध थी। यहां इलाज महंगा होने की वजह से गरीब परिवार अपने बच्चों का इलाज नहीं करा पाते थे। संपन्न लोगों को भी वाराणसी तक की दौड़ लगानी पड़ती थी। ऐसे में कई बार समय से इलाज न मिलने की वजह से नवजात की मौत हो जाती थी। जिला महिला अस्पताल में यह आधुनिक यूनिट शुरू होने के बाद गरीबों को इसका लाभ हो रहा है।



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