सिधौना : ओछी राजनीति का शिकार बन गए गोमती में डूबे बच्चों के परिजन, नहीं पहुंच रहे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, समाजसेवी मनोज सिंह ने दी आर्थिक मदद



सिधौना। खानपुर थानाक्षेत्र के दो बड़े हादसे, जिसमें दो नृशंस हत्याएं और गोमती नदी में एक साथ 3 मासूमों के डूबने की घटना हुई लेकिन इसमें गोमती में डूबे बच्चों के परिजन आज की ओछी राजनीति का शिकार होते दिख रहे हैं। बीते सोमवार को क्षेत्र के गौरहट गांव निवासी 3 बच्चों के गोमती नदी में डूबने के बाद से ही पूरे गांव में शोक का माहौल है। उनमें से दो बच्चों की लाश मिल चुकी है लेकिन करीब 7 दिन बीतने के बावजूद तीसरे का अब तक कोई भी पता नहीं चल सका है। इधर घटना के बाद उन बच्चों के परिजनों का भी रो-रोकर बुरा हाल है। बीते दिनों बसपा के प्रतिनिधिमंडल व पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह के बाद युवा समाजसेवी मनोज सिंह उन बच्चों के परिजनों के घर पहुंचे और उन्हें ढाढस बंधाया। इसके बाद उन तीनों को आर्थिक मदद करते हुए कहा कि वो प्रशासनिक तौर पर उनके परिजनों को सरकारी आर्थिक सहायता दिलाने के लिए तत्पर हैं। इधर आर्थिक सहयोग पाकर परिजनों की आंखें नम हो गईं। मनोज सिंह ने कहा कि वो तीनों परिवार के साथ पूरी तत्परता के साथ खड़े हैं और जहां जिस तरह का सहयोग होगा, वो करेंगे। इसके बाद वो रवाना हो गए। उनके साथ राकेश मिश्र, अजीत सिंह, जिगर सिंह, आशीष, जितेंद्र यादव आदि रहे। बता दें कि खानपुर थानाक्षेत्र के कुछ ही दिनों के अंदर दो बड़ी घटनाएं हुईं। जिसमें पहली घटना उचौरी में हुई। जहां दो युवाओं की गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी गई। उस घटना में काफी बवाल हुआ और मामला सत्ता के गलियारे तक पहुंच गया। खुद मुख्यमंत्री ने इसका संज्ञान लेकर अपने दूत के रूप में अगले दिन कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर को भेजा। श्मशान घाट पर पहुंचकर उन्होंने परिजनों को समझाया। इसके बाद अब तक कईयों द्वारा निजी तौर पर व सरकारी तौर पर 5-5 लाख रूपए के चेक दिए गए। वहीं आवास व कैटल शेड का आश्वासन मिला। स्थिति ये रही कि चिलौना कलां में क्षेत्र के तमाम दिग्गज पहुंच गए। लेकिन 3 बच्चों को एक झटके में खो देने वाले गांव में अब तक जिम्मेदार व्यक्तियों का न पहुंचना लोगों को भी खल रहा है और लोग ये कहने को विवश हैं कि मौत के मामलों में भी लोग अब वस्तुस्थिति देखकर शोक जताने जाते हैं। ऐसे में लोगों का सवाल पूछना लाजिमी है। गोमती में डूबने वाले बच्चों के यहां न तो कोई राजनेता जा रहा है और न ही मंत्री। यहां तक कि कोई आर्थिक सहयोग करने के लिए भी किसी राजनैतिक दल ने कुछ खास प्रयास नहीं किया है। जिसके चलते उन बच्चों के गरीब परिजन जहां अपने बच्चों को हमेशा के लिए खोने के चलते दुःखी हैं, वहीं समाज के इस दोहरे रवैये के चलते हताश हैं कि एक तरफ 2 हत्याएं होने पर न सिर्फ प्रदेश के कैबिनेट मंत्री से लेकर तमाम दिग्गज आ गए, बल्कि सरकारी तौर पर व कईयों के द्वारा निजी तौर पर आर्थिक सहायता भी मिली। यहां तक कि सरकार की आवास, कैटल शेड आदि कई योजनाओं का भी लाभार्थी बनाए जाने की घोषणा की गई है। इतना ही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इसके लिए ट्वीट करने से नहीं चूके। लेकिन यहां एक ही गांव के 3 मासूम बच्चे एक साथ गोमती में समाहित हो गए लेकिन बहुत से लोगों को इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ा। लोगों कहना है कि क्या मौत में भी डबल स्टैंडर्ड चलता है।
