सैदपुर : कोतवाल ने महाकुंभ भगदड़ में बिछड़े पति को पत्नी से मिलाया, 1 माह बाद पति को जिंदा पाकर बिलख उठी पत्नी, पति ने 8 दिन पानी पीकर काटा था वक्त

आकाश बरनवाल

सैदपुर। कोतवाली में सोमवार को एक बेहद ही मार्मिक दृश्य देखने को मिला, जब प्रयागराज के महाकुंभ में स्नान के दौरान हुई भगदड़ में अपने जीवनसाथी को खो चुकी पत्नी सैदपुर के कोतवाल योगेंद्र सिंह के अथक प्रयास से एक माह के बाद अपने पति को अपने सामने जीवित देखकर भाव विह्वल होकर बिलख उठी। वहीं जब पुलिस ने उक्त व्यक्ति को उनके परिजनों को सकुशल सौंपकर उनको विदा किया तो 8 दिनों तक सिर्फ पानी पीकर जीवन बिताने वाला उक्त व्यक्ति कोतवाल के गले लगकर बिलख उठा। ये दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें सजल हो गईं। परिजनों ने जाते-जाते कोतवाल समेत सैदपुर पुलिस व उन्हें कोतवाली पहुंचाने वाले युवक रवि सोनकर का आभार जताया। हुआ ये कि मध्य प्रदेश के भिंड जिले के गोहद थानाक्षेत्र के बिरखड़ी निवासी 55 साल के विद्याराम शर्मा पुत्र सिरदार शर्मा अपनी पत्नी यशोदा देवी के साथ बीते 14 फरवरी को स्नान के लिए महाकुंभ में आए थे। उनके साथ उनके गांव से पूरा जत्था बस में भरकर आया था। इस बीच 17 फरवरी को वहां पर थोड़ी भगदड़ हुई और इसी में मानसिक रूप से अस्थिर विद्याराम शर्मा का साथ पत्नी से छूट गया। रूपए, कपड़े आदि सामानों का बैग यशोदा के पास ही थे। इस बीच पति को उन्होंने 4 दिनों तक तलाशा लेकिन न मिलने पर वो वापस घर गईं और वहां परिजनों के साथ फिर से महाकुंभ आईं। जहां यशोदा के भाई, दामाद आदि ने 15 दिनों तक रूककर तलाश की लेकिन वो नहीं मिले तो वहीं थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। इधर लंबा समय बीत जाने के बावजूद कुछ पता न चलने पर परिजनों ने उनके जीवित होने व वापस आने की उम्मीद छोड़ दी थी तो विद्याराम ने भी घर लौटने की उम्मीद छोड़ दी थी। इधर विद्याराम किसी ट्रेन में बैठ गए और मुंबई पहुंच गए। विद्याराम ने बताया कि स्वाभिमान के चलते वो 8 दिनों तक बिना कुछ खाए सिर्फ पानी पीकर रहे। इसके बाद फिर किसी तरह से वो दूसरे राज्य में गए और वहां से यूपी में आए। मानसिक अस्थिरता के चलते सही जगह का पता नहीं बता पाने वाले विद्याराम ने अपने काले और कठोर हो चुके हाथ को दिखाते हुए कहा कि वो किसी चने की खेती करने वाले किसान के यहां गए और 500 रूपए प्रतिदिन की पगार पर काम मांगा तो उसने 300 रूपए पर काम दिया और मुझसे काफी काम कराया लेकिन जब अपना मेहनताना मांगा तो उसने नहीं दिया और भगा दिया। जिसके बाद वो भटकते हुए एक ट्रक में बैठकर सैदपुर तक पहुंचे। सैदपुर में पेट्रोल पंप के पास भटक रहे थे तो सैदपुर निवासी रवि सोनकर उन्हें देखा और उनका हाल पूछकर उन्हें कोतवाली पहुंचाया। जब कोतवाल योगेंद्र सिंह को उनकी कहानी पता चली तो उन्होंने इंटरनेट पर खोजकर गोहद थाने का नंबर मिलाया लेकिन वो नंबर गलत निकला। इसके बाद भिंड के डीएम को फोन किया लेकिन कई बार फोन करने के बावजूद डीएम ने फोन नहीं उठाया। जिसके बाद कोतवाल योगेंद्र सिंह ने इंस्टाग्राम पर भिंड के कई लोगों के रील देखने शुरू किए और एक रील में वहां के किसी कॉलेज का नंबर मिला तो वहां फोन कर गोहद थाने का नंबर लिया और फिर इनके परिजनों से संपर्क किया। संपर्क होने के बाद यशोदा को वीडियो कॉल कर विद्याराम की पहचान भी कराई। इधर एक माह के बाद पति-पत्नी ने एक दूसरे को देखा तो वीडियो कॉल पर ही रोने लगे। इसके कुछ ही देर बाद यशोदा, उनका दामाद सौरभ शर्मा व यशोदा का भाई पूरी रात कार से 700 किमी का सफर तय करके सैदपुर कोतवाली आए। पत्नी को सामने देखकर विद्याराम बिलख उठे। वहीं पति की हालत देखकर यशोदा भी बिलख उठी। इसके कुछ ही देर बाद विद्याराम ने यशोदा से नोंकझोंक किया कि वो क्यों उन्हें छोड़कर चली गई थी। पति के बारे में बताते हुए यशोदा रोने लगी। परिजनों ने बताया कि उन्होंने इस एक माह में उन्हें चित्रकूट, इटावा से लेकर कई जिलों में ढूंढा लेकिन उनका कोई पता नहीं चल सका था। जिसके चलते ये होली भी एकदम मनहूसियत के साए में बीती। लेकिन हमें क्या पता था कि इस होली का हमें इतना कीमती उपहार मिलेगा। इन सब बातों के बाद सभी को नाश्ता कराकर कोतवाल योगेंद्र सिंह ने जब पूरे परिवार को विदा किया तो विद्याराम ने पहले कोतवाल का पैर छूने की कोशिश की और उनके रोकने पर वो उनके गले लगकर बिलख उठा। पूरे परिवार ने सैदपुर पुलिस का आभार जताते हुए कहा कि अगर कोतवाल का रील देखकर नंबर निकालने वाला आइडिया व उनका परिजनों तक पहुंचाने का प्रयास नहीं होता तो आज भी विद्याराम भटक रहे होते। विद्याराम ने भी रोते हुए कहा कि वो परिवार से वापस मिलने की उम्मीद छोड़ चुके थे।

