गाजीपुर : नन्हें बच्चों को एल्बेंडाज़ॉल की गोली खिलाकर सीएमओ ने शुरू किया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान, छूटे बच्चों को 14 फरवरी को मिलेगी गोली



गाज़ीपुर। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर नगर के माउंट लिटेरा जी स्कूल में सीएमओ डॉ सुनील पाण्डेय ने बच्चों को पेट के कीड़े (कृमि) मारने की दवा एल्बेंडाज़ॉल खिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। कहा कि जिले में करीब 18 लाख बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाने के उद्देश्य से ये अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण इस दिवस पर बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं तो उनके लिए 14 फरवरी को मॉपअप राउंड चलाया जाएगा और उस दिन दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि यह दवा खाली पेट नहीं खानी है। एक से दो वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली व 2 से 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोरों को पूरी गोली खिलाई जानी है। छोटे बच्चों को गोली पीसकर देनी है जबकि बड़े बच्चे इसे चबाकर खा सकते हैं। सीएमओ ने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल को बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। कृमि के चक्र को खत्म करने के लिए बेहद जरूरी है कि बच्चे को यह दवा समय-समय पर दी जाती है। ऐसा न करने पर बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने सभी अभिभावकों से अपील किया कि वह अपने बच्चों को दवा जरूर खिलवाएं। बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेंडाज़ॉल की गोली खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी एनीमिया समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। कहा कि जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में ये समस्या स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है। इस मौके पर एसीएमओ एमके सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी मनोज कुमार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक प्रभुनाथ, अर्बन हेल्थ कोऑर्डिनेटर अशोक कुमार, एविडेन्स एक्शन के पंकज कुमार सिंह आदि रहे। अध्यक्षता प्रधानाचार्य राजेश ने किया।