देवकली : एक मां 3-4 बच्चों को आराम से पाल लेती है लेकिन 3-4 बच्चे मिलकर भी एक मां की सेवा नहीं कर पाते - सोनम शास्त्री



देवकली। स्थानीय ब्रह्म स्थल परिसर में चल रहे 50वें मानस सम्मेलन के 5वें दिन प्रवचन करते हुए बाराबंकी से आई सोनम शास्त्री ने कहा कि एक मां 3-4 बच्चों को पाल लेती है लेकिन उसी मां के 3-4 बच्चे बुढ़ापे में अपनी उसी एक मां की सेवा नहीं कर पाते। कहा कि निर्धन धनवान से डरता है, दुर्बल बलवान से डरता है लेकिन सारी दुनिया चरित्रवान से डरती है। कहा कि आज के समय में जिसका चरित्र ऊंचा होता है, वह सर्वत्र पूज्य है। कहा कि जिसको सारी दुनिया छोड़ देती है, ईश्वर उसे अपना बना लेते हैं। बताया कि देवी सती ने परीक्षा लिया तो उन्हें तन त्याग करना पड़ा, शबरी ने प्रतीक्षा की उन्हें भगवान के दर्शन हुए। कहा कि आज के लोग श्रीराम को तो मानते हैं परन्तु श्रीराम की नहीं मानते हैं। उन्होंने भगवान शिव विवाह पर चर्चा करते हुए कहा कि माता सती आग में जल चुकी थीं लेकिन उनकी इच्छा यही थी कि शिव जी हमेशा पति के रुप में मिलें। इसलिए नारद के कहने पर उन्होंने घोर तपस्या की। कहा कि सभी देवताओं ने मिलकर शिव से विनती कर विवाह करने का आग्रह किया। उनके विवाह में भूत, प्रेत, पिशाच, सांप, बिच्छू, गोजर बराती बने। परिछन के समय दुल्हा देखकर मैना आरती की थाली फेंककर चली गयी लेकिन उसे शिव ने अपमान की जगह सम्मान के रुप में देखा। नारद ने पूर्व जन्म का वर्णन किया तो मैना का भ्रम दूर हो गया। कथा के दौरान नरेन्द्र कुमार मौर्य, अर्जुन पाण्डेय, केपी गुप्ता, त्रिलोकीनाथ गुप्ता, दयाराम गुप्ता, अवधेश मौर्य, पवन वर्मा, अशोक वर्मा, रामनरेश मौर्य आदि रहे। अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन संजय श्रीवास्तव ने किया।