सैदपुर : पूरे क्षेत्र में उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही 4 दिवसीय महापर्व का समापन, पक्का घाट पर महाकाल की लगी झांकी
सैदपुर। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आस्था का 4 दिवसीय महापर्व डाला छठ उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त हो गया। इस दौरान पूरे क्षेत्र में पर्व बेहद हर्षोल्लास व उत्साह के साथ मनाया गया। व्रती महिलाओं ने अपने पुत्र के दीर्घायु होने की कामना के साथ ही सूर्योपासना के इस महापर्व को सकुशल पूरा किया। शुक्रवार की भोर 3 बजे से ही नगर के सभी घाटों सहित गांवों में पोखरियों व नदियों पर भीड़ जुटनी शुरू हो गयी थी। इसके बाद भोर से ही व्रती महिलाएं नदी व पोखरों के ठंडे पानी मे खड़ी होकर भगवान भाष्कर के उगने का इंतजार कर रही थीं। घण्टों के इंतजार के बाद सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर सूर्योदय होते ही घाट पर मौजूद श्रद्धालु व्रती महिलाओं के सूप में अर्घ्य देने लगे। अर्घ्य देने के लिए घाटों पर भारी भीड़ जुटी थी। इस दौरान पक्का घाट पर सर्वाधिक भीड़ जुटी थी। वहां नगर सहित आसपास के गांवों से भी लोग जुटे थे। अर्घ्य देने के पश्चात सभी ने प्रसाद वितरण शुरू कर दिया। इधर सबसे अधिक भीड़ को देखते हुए कोतवाल योगेंद्र सिंह मय फोर्स पक्का घाट पर ही डटे हुए थे। वहीं जॉइंट मजिस्ट्रेट रामेश्वर सुधाकर व क्षेत्राधिकारी अनिल कुमार नाव से सभी घाटों पर व्यवस्था व सुरक्षा की पड़ताल कर रहे थे। पक्का घाट पर उज्जैन के विश्व विख्यात महाकाल की बेहद आकर्षक झांकी बनाई गई थी, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही थी। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती महिलाएं भोर से ही विभिन्न नदियों और तालाबों के घाटों पर मंगल गीत गाते हुए पहुंचने लगी थी। घाटों पर व्रती महिलाओं द्वारा जलाए गए दीपकों से ऐसा लग रहा था जैसे जमीन पर तारे टिमटिमा रहे हों। अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं व श्रद्धालु एक साथ निकले तो सड़कों पर कुछ देर के लिए अन्य आवागमन ठप सा हो गया था। पूजा खत्म होने के बाद वृद्ध महिलाओं को सीढ़ियों पर चढ़ाने में महिला पुलिसकर्मी रोली आदि जुटी रहीं।