डाला छठ तक विशेष सतकर्ता बरतें टीबी के मरीज, आतिशबाजी से दूर रहें व मास्क लगा कर ही निकलें बाहर





गोरखपुर। क्षय रोग अथवा टीबी के मरीजों (पल्मनरी टीबी मरीजों) के फेफड़े बीमारी के कारण पहले से संक्रमित और कमजोर होते हैं। ऐसे में आतिशबाजी का प्रदूषण उनकी जटिलताएं और भी बढ़ा सकता है। इसलिए बेहतर यह है कि टीबी के उपचाराधीन मरीज आतिशबाजी से दूर रहें। सुबह शाम अगर घर से बाहर निकलना भी पड़े तो मास्क का इस्तेमाल अवश्य करें। यह अपील जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने की। उन्होंने पर्व की बधाई देते हुए दीपावली से लेकर छठ पर्व तक टीबी मरीजों को विशेष सतर्कता बरतने के लिए कहा है। साथ ही समुदाय से अपील की है कि इन पर्वों पर घर लौटने वाले प्रवासी लोगों में अगर टीबी के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें नजदीकी चिकित्सा इकाई पहुंच कर जांच व इलाज करवाने के लिए प्रेरित करें। डॉ यादव ने बताया कि टीबी का सम्पूर्ण इलाज संभव है। जिले में प्रति वर्ष करीब दस हजार से अधिक टीबी मरीज इलाज के बाद स्वस्थ हो रहे हैं। सिर्फ फेफड़े की टीबी (पल्मनरी टीबी) ही संक्रामक होती है और अगर समय से इसकी पहचान कर उपचार शुरू कर दिया जाए तो तीन सप्ताह बाद ऐसे मरीज से भी संक्रमण नहीं फैलता है। इसके प्रमुख लक्षणों में दो सप्ताह से अधिक की खांसी, शाम को पसीने के साथ बुखार, सांस फूलना, भूख न लगना, तेजी से वजन घटना, बलगम में खून आना और सीने में दर्द शामिल हैं। अगर प्रवासी लोगों में यह लक्षण दिखे तो तुरंत जांच और इलाज से उनके जरिये संक्रमण नहीं फैलेगा। डीटीओ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग टीबी मरीजों की पहचान कर निक्षय पोर्टल पर जब उन्हें पंजीकृत कर देता है तो प्रत्येक मरीज की यूनीक आईडी बन जाती है। इस आईडी के जरिये प्रवासी टीबी मरीज वापस अपने कार्यस्थल पर लौटने के बाद भी इलाज जारी रख सकते हैं। इसके विपरीत अगर प्रवासी मरीज जांच और इलाज नहीं करवाते हैं तो टीबी होने पर उनके जरिये संक्रमण तो फैलेगा ही, साथ ही बीमार होने पर उनकी भी कार्यक्षमता और आय प्रभावित होगी। टीबी मरीजों के इलाज से जुड़े उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव ने बताया कि आतिशबाजी के प्रदूषण से न बचने पर टीबी मरीज को अधिक खांसी आ सकती है। ऐसे में उनके जरिये संक्रमण के तेज से फैलने की भी आशंका बढ़ जाएगी। पर्वों के दौरान भी टीबी मरीजों को पौष्टिक खानपान जैसे दूध, पनीर, अंडा, मछली, सोयाबीन आदि का सेवन जारी रखना चाहिए। डीटीओ डॉ यादव ने बताया कि जिन टीबी मरीजों में मधुमेह की भी समस्या है, उन्हें ज्यादा सतर्क रहना है। ऐसे मरीजों को मिठाइयों से दूरी बना कर रखनी होगी। साथ में आलू, ओल, शकरकंद और चावल आदि के सेवन से बचना है। मधुमेह को नियंत्रित रख कर टीबी मरीज आसानी से स्वस्थ हो सकते हैं।



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