नए टीबी और कुष्ठ रोगियों को खोजकर शीघ्र इलाज के लिए चिकित्साधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण





गोरखपुर। टीबी और कुष्ठ दोनों बीमारियों की समय से पहचान हो जाए तो बिना किसी जटिलता के सम्पूर्ण इलाज संभव है। दोनों बीमारियों के उन्मूलन के लिए इनके नये मरीजों को खोज कर शीघ्र इलाज करने की आवश्यकता है। यह बातें जिला टीबी और कुष्ठ उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने कहीं। उन्होंने सभी ब्लॉक और शहरी क्षेत्र के चिकित्सा अधिकारियों के दो दिवसीय प्रशिक्षण को सम्बोधित किया। राज्य कुष्ठ अधिकारी डॉ जया देहलवी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम से वर्चुअल माध्यम से जुड़ीं और शहरी क्षेत्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अनुला गुप्ता से प्रशिक्षण का फीडबैक प्राप्त किया। जिला टीबी और कुष्ठ उन्मूलन अधिकारी ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के दिशा निर्देशन में विकास भवन में यह प्रशिक्षण शुरू हुआ। गुरुवार को प्रशिक्षण सत्र का सीएमओ कार्यालय के प्रेरणा श्री सभागार में समापन हुआ। प्रशिक्षण में बताया गया कि 2 से 15 सितम्बर तक कुष्ठ रोग खोजी अभियान चलाया जाएगा, जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाकर संभावित मरीज खोजेंगी। वहीं 9 से 20 सितम्बर तक जनपद में सक्रिय क्षय रोग खोजी अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत टीम क्षय रोग की संभावित मरीज खोजेंगी। दोनों अभियानों में जो संभावित मरीज खोजे जाएंगे उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर भेज कर जांच कराई जाएगी और बीमारी के पुष्ट होने पर त्वरित इलाज शुरू होगा। बताया कि समय से कुष्ठ की पहचान न होने पर वह दिव्यांगता का रूप ले सकता है। अगर शरीर पर कहीं भी चमड़ी के रंग से हल्के रंग का सुन्न दाग धब्बा है तो वह कुष्ठ भी हो सकता है। इसका सम्पूर्ण इलाज सरकारी तंत्र में मौजूद है। शरीर पर दाग धब्बों की संख्या पांच या पांच से कम हो तो मरीज को पीबी कुष्ठ रोगी कहते हैं और इसका इलाज मात्र छह माह में हो जाता है। वहीं अगर दाग धब्बों के साथ शरीर की कोई नस प्रभावित हो या दाग व धब्बों की संख्या छह या छह से अधिक हो तो मरीज एमबी कुष्ठ रोगी कहा जाता है और 12 से 18 माह तक के इलाज से वह ठीक हो जाता है। प्रशिक्षण के दौरान कुष्ठ की पहचान, इलाज, लेप्रा रिएक्शन प्रबंधन और माइक्रोप्लानिंग आदि की विस्तार से जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया कि अगर दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी आ रही हो तो व्यक्ति को टीबी भी हो सकती है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर टीबी की जांच अवश्य कराई जानी चाहिए। अभियान के दौरान मलिन बस्तियों और उच्च जोखिम वर्ग में खास तौर से ऐसे संभावित मरीज खोजे जाएंगे। शाम को बुखार आना, पसीने के साथ बुखार, बलगम में खून आना, सांस फूलना और सीने में दर्द आदि टीबी के अन्य प्रमुख लक्षण हैं। इसके लिए इस बार करीब 10.88 लाख की आबादी के बीच 431 टीम टीबी के संभावित मरीज खोजेंगी। स्क्रीनिंग की गयी कुल आबादी में से पांच फीसदी संभावित टीबी मरीज जांच के लिए रेफर किये जाएंगे। इस मौके पर डॉ एके वर्मा, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, डीएलसी डॉ भोला, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, डॉ आसिफ, पवन श्रीवास्तव, महेंद्र चौहान आदि रहे।



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