सिधौना : पथरीली सड़क पर पैदल चलने से पैरों में पड़े फफोले लेकिन कांवरियों की जुबान पर है ‘बम भोले-बम भोले’
सिधौना। श्रावणी माह के पवित्र महीने में भगवान भोलेनाथ को गंगाजल चढ़ाने के लिए कांवरियों का दल दिन रात पैदल चल रहा है। जौनपुर जिले के ढेरों कांवरियां दल अपने समूहों के साथ नाचते गाते जयकारा लगाते हुए बेलहरी, खानपुर, बिहारीगंज, सिधौना से होते हुए कैथी स्थित गंगाघाट से जल उठाते है। आजमगढ़ जिले से आने वाले कांवड़ दल पोखरा मोड़, अनौनी, बिहारीगंज, सिधौना होते हुए कैथी गंगा घाट आते जाते है। शिवभक्त कांवरियां मार्कण्डेय महादेव का जलाभिषेक करने के बाद अपने अपने स्थानीय शिवालयों में गंगा जल अर्पित करने पैदल ही सड़कों की दूरी नाप रहे हैं। धूप से तपती धरती और कंकरीली-पथरीली सड़क कांवरियों के पैरों की कठिन परीक्षा ले रही है। कई कांवरियों के पैरों में छाले पड़ने के बावजूद वो अपने चेहरे पर जलाभिषेक की लालसा लिए जयकारा लगाते हुए अपने पदयात्रा को पूरी कर रहे है। संस्कृत आचार्य बालकृष्ण पाठक ने बताया कि श्रावण मास की उत्पति श्रवण नक्षत्र से हुई है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा को माना गया है और चंद्रमा शिवशंकर के माथे पर विराजमान हैं। श्रवण नक्षत्र को जलतत्व का कारक माना गया है। गंगाजल शिवशंकर को अत्यंत प्रिय है। धरती पर अवतरित होने से पहले गंगा मैया भोले बाबा की जटाओं में समाई थीं। गंगाजल ले जाकर शिवालयों में जलाभिषेक करने से शिवशंकर अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। सावन में महीने भर स्त्री-पुरुष शिवभक्त लोग शिवालयों में पूजा अर्चना जलाभिषेक एवं भजन कीर्तन करते हैं।