144वीं जयंती पर याद किए गए कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, साहित्य के योगदानों को किया गया याद
गाजीपुर। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती क्षेत्र के चंदन नगर स्थित अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव के आवास पर हुई। जहां उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर सभी ने श्रद्धांजलि दी और समाज में व्याप्त कुरीतियों और कुप्रथाओं के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया। प्रान्तीय उपाध्यक्ष मुक्तेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ने गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आदर्शोन्मुख यथार्थवाद के रचनाकार मुंशी प्रेमचंद ने भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन किया था। वे न केवल ग्रामीण समाज के कुशल चित्रकार थे, बल्कि नगरीय समाज की भी उन्हें अच्छी समझ थी। स्वतंत्रता के बाद भारत को जिस तरह से परखने, समझने और समाधान तक जाने की बागडोर अपने हाथ में ली, वह अनुकरणीय है। हिंदी रचनाकारों में जितनी प्रसिद्धि गोस्वामी तुलसीदास की है, उससे कम मुंशी प्रेमचंद की नहीं है। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में जो काम महात्मा गांधी ने आंदोलन करके किया वहीं काम मुंशी जी साहित्य लिखकर करते रहे। कहा कि प्रेमचंद जी जो जिए वही रचा। प्रेमचंद जी के पात्र ज्यादा निम्न वर्ग के ही थे। उनके उपन्यासों में रोटी गूंजती है। मुंशी जी को बहुत से लोग गांधीवादी, मार्क्सवादी या आर्यसमाजी मानते थे लेकिन उनका कहना था कि जिससे निम्न वर्ग का भला हो, उनके जीवन स्तर में सुधार आये, मैं उसी वाद से प्रभावित हूं। गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए जिलाध्यक्ष ने मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व एक कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि मुंशी जी का रचना संसार बहुत ही विस्तृत और महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियां और उपन्यास समाजिक यथार्थ से जुड़ी हुई थी। उनकी रचनाएं सामाजिक मुद्दों पर समाज में एक नई चेतना लाना चाहती थी। उनकी कृतियां समाज में व्याप्त कुरीतियों और कुप्रथाओं और तत्कालीन समस्याओं के खिलाफ एक नई बहस चलाना चाहती थी, जिसके पीछे मुंशी जी का एकमात्र उद्देश्य था सामाजिक परिवर्तन करना। इसके बाद उनके कृतियों पर चर्चा की गई। इस मौके पर प्रेम श्रीवास्तव, चन्द्रप्रकाश श्रीवास्तव, अनूप श्रीवास्तव, अश्वनी श्रीवास्तव, शुभांशु, आर्यन, हिमांशु, अनिल श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव, शशिकांत श्रीवास्तव, केशव श्रीवास्तव, विपिन बिहारी वर्मा, संतोष श्रीवास्तव, पप्पूलाल श्रीवास्तव, मनीष श्रीवास्तव आदि रहे। अरूण सहाय ने किया।