जखनियां : .......जब कलयुग को स्वर्ण में रहने की इजाजत देकर खुद ही कलयुग का शिकार बन गए राजा परीक्षित





जखनियां। स्थानीय सीएचसी परिसर में बने हनुमान मंदिर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन राजा परीक्षित से जुड़ी कथा का वाचन किया गया। आचार्य बृजेश पांडे ने कहा कि राजा परीक्षित ने कलयुग को चार स्थानों पर रहने की अनुमति दी। जिसमें पहला जुआखाना, दूसरा मदिरालय या शराबखाना, तीसरा वेश्यालय व चौथी जगह वहां दी जहां हत्याएं होती हों। लेकिन जब कलयुग ने निवेदन किया तो उसे स्वर्ण में भी कलयुग को रहने की इजाजत देते हुए जगह दे दी। जिसका परिणाम ये हुआ कि खुद राजा परीक्षित का मुकुट स्वर्ण का होने की वजह से कलयुग ने उनकी भी बुद्धि भ्रष्ट कर दी और परिणामस्वरूप उन्होंने ऋषि शमीक के गले में महाराजा ने सांप डालकर उनका अपमान कर दिया। जिसके चलते उनके पुत्र ऋषि श्रृंगी ने 7 दिनों के अंदर तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत का शाप उन्हें दे दिया। शाप के बाद राजा परीक्षित ने राज्य का परित्याग कर दिया और खुद गंगा किनारे आ गए। वहां सभी संत महात्माओं के साथ शुकदेव जी का आगमन हुआ तो उन्होंने पूछा कि शीघ्र मरने वाले को क्या करना चाहिए? जिस पर शुकदेव जी ने जवाब दिया कि मृत्यु के मालिक खुद श्रीहरि ही हैं। अतः उनकी शरण में जाने पर मृत्यु के भय से मुक्त हुआ जा सकता है। उन्होंने संसार की उत्पत्ति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भगवान विष्णु के नाभि से कमल निकला और कमल से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। फिर ब्रह्मा जी ने ही सृष्टि की रचना की सर्वप्रथम सनकादिक ऋषियों को, भगवान रुद्र को तथा 10 ऋषियों के बाद मनु और शतरूपा का निर्माण किया। इसके बाद सृष्टि विस्तार का आदेश दिया। मनु से सृष्टि प्रारंभ होने के कारण ही हम सभी मनुष्य कहे जाते हैं। इस दौरान कार्यक्रम में मनोज प्रजापति, रामप्रसाद कुशवाहा, व्यास राधे रमण बिहारी, संगीत आचार्य रामप्रसाद, राजीव, पीयूष पांडे, बृजमोहन यादव आदि रहे।



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