पाकिस्तान सहित पड़ोसी देशों में पोलियो रोगी पाए जाने पर यूपी में शुरू हुआ अभियान, गोरखपुर में डिप्टी सीएम ने किया शुभारंभ
गोरखपुर। इजरायल में वर्ष 1989 के बाद वर्ष 2022 में पोलियो के केस पाए गए तो मोजाम्बिक, पाकिस्तान व अफगानिस्तान में इसी साल पोलियो के मामले रिपोर्ट हुए हैं। ऐसी स्थिति में देश के अन्य 12 राज्यों के साथ ही उत्तर प्रदेश के 50 जिलों में भी रविवार से पल्स पोलियो अभियान की शुरूआत की गयी है। प्रदेश में इस अभियान का शुभारंभ प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बृजेश पाठक ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के मॉडल टीकाकरण केंद्र से किया। उन्होंने पांच माह की बच्ची शैरिल को ड्रॉप पिलाकर अभियान की शुरूआत की। पहले दिन पूरे प्रदेश में बूथ दिवस मनाया गया। गोरखपुर जिले में 2148 बूथ के जरिये शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को पल्स पोलियो से बचाव की दवा पिलाई गयी। सोमवार से स्वास्थ्य विभाग की टीम 15 दिसम्बर तक घर-घर जाकर दवा पिलाएंगी। उप मुख्यमंत्री ने सूर्यांश, मिसिका और ऋषि को भी अपने हाथों से पोलियो से बचाव का ड्रॉप पिलाया। उप मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि लोग आगे आकर बच्चों को पोलियो से बचाव की दवा पिलाएं। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों में पोलियो के केस आने के बाद प्रदेश में भी अभियान शुरू किया गया है। गोरखपुर जिले के अभियान के बारे में भी उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने जनपद स्तरीय अभियान के बारे में बताया कि 1494 टीम सोमवार से 15 दिसम्बर तक घर घर जाकर दवा पिलाएंगी। कुल 8.80 लाख घरों तक पहुंचकर दवा पिलाई जाएगी। जो बच्चे छूट जाएंगे उन्हें 17 दिसम्बर को बी टीम दवा पिलाएगी । इस बार 6.47 लाख बच्चों को दवा पिलाने का लक्ष्य है। गोरखपुर जनपद के अभियान के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा, सहायक शोध अधिकारी अजीत सिंह और सहयोगी संस्थाएं अभियान के सफल संचालन के लिए समन्वित प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पल्स पोलियो का ड्रॉप बच्चों को जन्म के समय भी पिलाया जाता है। इसके बाद 6, 10 और 14 सप्ताह पर बच्चों को यह ड्रॉप पिलायी जाती है। इसका बूस्टर डोज 16 से 24 महीने की उम्र में दिया जाता है। ये सभी डोज नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत सरकारी अस्पतालों और टीकाकरण सत्रों पर भी दिये जाते हैं। इनके अलावा भी अभियान के दौरान बच्चों द्वारा दवा का सेवन अनिवार्य है। डॉ दूबे ने बताया कि पल्स पोलियो का वायरस जब तक किसी भी देश में बचा हुआ है, सभी देशों को बचाव के उपाय करने होंगे। इस मौके पर एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक डॉ सुरेखा किशोर, उप निदेशक अरूण कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रमाशंकर रत्न, चिकित्सा अधीक्षक मनोज कुमार, सौरभ, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश यादव, जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ राजेंद्र ठाकुर, नोडल अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा, एआरओ अजीत सिंह, नवीन गुप्ता, आदिल, बीनू, कुसुम, सिनोमी आदि रहे।