बाढ़ आने के पूर्व ही जिला प्रशासन सतर्क, बाढ़ नियंत्रण को लेकर हुई बैठक, सभी को सौंपी गई उनकी जिम्मेदारियां





गाजीपुर। बरसात का मौसम आने के पूर्व ही प्रशासन ने बाढ़ के नियंत्रण को लेकर खास सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। जिले में बाढ़ नियंत्रण के लिए राइफल क्लब सभागार में बाढ़ स्टेयरिंग कमेटी की बैठक हुई। जिसमें बाढ़ के दौरान संचार व्यवस्था, बाढ़ केंद्र, चौकियों व शरणालय की स्थापना, नावों की समुचित व्यवस्था, पशुओं के हरे चारे की व्यवस्था, कटाव नियंत्रण आदि के बाबत किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा की गई और रणनीति तैयार की गई। इस दौरान एडीएम ने निर्देश दिया कि बाढ़ से प्रभावित होने वाले गांवों में संचार की बेहतर व्यवस्था के लिए सभी गांवों से 10 साभ्रांतजनों के मोबाइल नंबर उपलब्ध हों। जिसकी एक प्रति संबंधित तहसील व दूसरी आपदा नियंत्रण कार्यालय में हो। इसके अलावा हर प्रभावित गांवों के साभ्रांतजनों व युवाओं का व्हाट्स ग्रुप बनाया जाए, ताकि किसी विषम परिस्थिति में जानकारी हो सके। बाढ़ केंद्रों पर शौचालय, रोशनी, पेयजल, भोजन, जेनेरेटर के अलावा महिला व पुरूष पीड़ितों के लिए अलग-अलग कक्षों की व्यवस्था की जाए। बताया कि जिले में वर्तमान में कुल 107 बाढ़ चौकियां बनी हैं। साथ ही पीड़ितों की सुविधा के लिए 27 बाढ़ शरणालय मौजूद हैं। सभी स्थानों पर एडीएम ने प्रभारी बनाकर ड्यूटी लगाने का निर्देश दिया। कहा कि बाढ़ के बावजूद भी जो लोग अपने घर से सुरक्षित स्थान पर नहीं जाना चाहते हैं, ऐसे लोगों को संबंधित एसडीएम व तहसीलदार खुद जाकर जागरूक करेंगे और उन्हें सुरक्षित स्थान पर भेजेंगे। राहत शिविरों का संचालन नायब तहसीलदारों के जिम्मे दिया गया। वहीं सिंचाई विभाग के जेई को बाढ़ चौकियों से संबंद्ध किया गया। हर बाढ़ चौकी पर कोटेदार/एएनएम/आशा या आंगनबाड़ी कार्यकत्री की जानकारी देने की बात कही। संबंधित क्षेत्रों के एसडीएम को निर्देश दिया कि वो बाढ़ प्रभावित गांवों में नाव मालिकों या संघ के अध्यक्षों से वार्ता कर नाव की उपलब्धता को सुनिश्चित कर लें। अगर बाढ़ के दौरान अतिरिक्त नाव की जरूरत होगी तो उसे उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संबंधित तहसीलदार को दी गई। बीते साल नाव की कमी देखते हुए संबंधित ग्राम पंचायतों द्वारा नए नियम बनाकर नाव खरीदे जाने का भी निर्देश् दिया गया। पशुओं के बाबत कहा कि पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध हों। बाढ़ के पूर्व या उस समय पशुओं को संक्रामक रोगों के टीके लगा लिए जाएं। इसके अलावा अन्य अधिकारियों को भी आवश्यक दिशा निर्देश दिया।



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