गाजीपुर में अदालतों के नाम रहा शनिवार, मुख्तार अंसारी व सांसद अफजाल अंसारी को क्रमशः 10 व 4 साल की सजा, सांसद अफजाल गिरफ्तार





गाजीपुर। गाजीपुर में शनिवार का पूरा दिन न्यायपालिका के नाम रहा। एक दिन में जिले की अदालतों ने तीन ऐसे अहम मुकदमों में फैसले दिए, जिनके आने के बाद निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ जाएगा। सैदपुर के बहुचर्चित रामपति हत्याकांड में 39 साल बाद फैसला आने के अलावा जिले की एमपी एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में बसपा से गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी को जहां 4 साल की कैद व एक लाख रूपए जुर्माने की सजा सुनाई है, वहीं उनके भाई व माफिया मुख्तार अंसारी को 10 साल की कैद व 5 लाख रूपए का अर्थदंड लगाया है। इस फैसले के बाद अब अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता भी छिन जाएगी। फैसला आने के बाद सांसद को पुलिस गिरफ्तार कर साथ ले गई। दोनों भाईयों को अलग-अलग मामलों में सजा का ऐलान हुआ है। अफजाल अंसारी को सजा 16 साल पुराने गैंगस्टर के मामले में हुई थी। कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के लिए 19 पेज में अपना फैसला सुनाया, वहीं अफजाल अंसारी के सजा को 115 पेज में विस्तृत किया गया है। जिसके बाद जिला सहित प्रदेश के सियासी जगत में हड़कंप मच गया। 2007 में जिले के कई थानों में दर्ज मुकदमों के बाद अफजाल अंसारी व मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई हुई। जिसमें बहुचर्चित तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड, नंदकिशोर रूंगटा अपहरण व हत्याकांड के मामले शामिल हैं। इस मामले में कई सालों तक जिरह चली और बीते दिनों एमपी एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद की एक तारीख पर किन्हीं कारणों से फैसला नहीं सुनाया गया। जिसके बाद आज इस केस में दोनों भाईयों के खिलाफ स्पेशल जज ने फैसला सुनाया। सुबह के समय में माफिया मुख्तार अंसारी के लिए फैसला सुनाया गया। जिसके लिए मुख्तार बांदा की जेल से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। सजा के ऐलान के बाद 2 बजे अफजाल अंसारी को सजा सुनाई गई। सजा होने के बाद न्यायालय से ही पुलिस ने सांसद अफजाल अंसारी को गिरफ्तार कर लिया। इस हाईप्रोफाइल मामले में सजा सुनाए जाने को लेकर जिले भर में पुलिस व्यवस्था पूरी तरह से चाक चौबंद रही। कई जिलों की पुलिस को गाजीपुर में ड्यूटी पर लगाया गया था। पूरा गाजीपुर नगर छावनी में तब्दील था तो न्यायालय की सुरक्षा ऐसी रही कि परिंदा तक पर न मार सके। ये सुरक्षा व्यवस्था भी अतीक अशरफ हत्याकांड के बाद खास तौर पर देखने को मिल रही थी। सुबह में अदालत के गेट तक भी किसी को जाने की इजाजत नहीं थी। हर एक को बारीकी से चेक करने के बाद ही आगे भेजा जा रहा था।



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