टीबी मरीजों की जान बचा रहे विनीता और डॉ उपेंद्र, हर माह पोषण पोटली के साथ दे रहे मानसिक संबल
गोरखपुर। राप्ती नगर क्षेत्र के डॉ उपेंदर और विनीता श्रीवास्तव टीबी मरीजों को स्वस्थ बनाने में मददगार बनी हैं। निक्षय मित्र बनकर टीबी मरीजों को हर माह पोषण पोटली के साथ मानसिक संबल भी प्रदान करते हैं। विनीता की मदद से चार टीबी मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और पांच उपचाराधीन हैं। डॉ उपेंदर चार टीबी मरीजों की मदद कर रहे हैं और उनके सहयोग से एक टीबी मरीज स्वस्थ हो चुका है। गोद लिए मरीजों में कुछ ऐसे भी हैं जो बीमारी की देरी से पहचान के कारण पहले ही स्वास्थ्य, वित्तीय या आजीविका का नुकसान झेल चुके हैं और ऐसे मरीजों के लिए निक्षय मित्र का सहयोग बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। विनीता श्रीवास्तव अब तक दो बार में नौ मरीजों को गोद ले चुकी हैं। वह बताती हैं कि पति व अपर निदेशक-स्वास्थ्य अयोध्या डॉ. ए.के. श्रीवास्तव ने अयोध्या में टीबी मरीजों को गोद लिया था। बातचीत में निक्षय मित्र योजना के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने भी मरीज़ गोद लेने की इच्छा जताई, जिसके बाद पति ने चरगांवा पीएचसी के पांच टीबी मरीजों को अक्टूबर 2022 में गोद दिलवाया। विनीता गोद ले चुके मरीजों से हर महीने मुलाकात करती हैं और उन्हें पोषक सामग्री जैसे दाल, गुड़, चना, मूंगफली आदि देती हैं। इलाज, दवा, पोषण पोटली, मानसिक सम्बल और सरकारी प्रावधानों का लाभ पाकर इनमें से चार मरीज स्वस्थ भी हो चुके हैं। विनीता बताती हैं कि सामग्री देने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मरीजों से बातचीत कर उनके मन में यह भाव पैदा किया जाए कि टीबी से स्वस्थ होने के प्रयास में उनके साथ स्वास्थ्य प्रणाली और निक्षय मित्र भी हैं। चरगांवा पीएचसी के सीनियर लैब ट्रीटमेंट सुपरवाईजर केशर धर द्विवेद्वी और सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाईजर मनीष तिवारी बताते हैं कि विनीता द्वारा गोद लिए गए 15 से 32 आयु वर्ग के सभी मरीज आर्थिक तौर से कमजोर वर्ग से आते हैं और उन्हें पोषण के साथ मानसिक सहयोग की आवश्यकता थी। विनीता द्वारा गोद लिए गए झुंगिया के रहने वाले युवक ने बताया कि अप्रैल 2022 में बुखार चढ़ा तो मेडिकल स्टोर से दवा ली। थोड़ा आराम मिला लेकिन बार-बार बुखार आने से सितम्बर 2022 तक हालत काफी खराब हो गई। इस बीच कई अस्पतालों में दिखाया और हजारों रुपये की दवा खाई लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। मां की गौशाला में आए एक पशु चिकित्सक ने सितम्बर 2022 में चरगांवा पीएचसी लाकर टीबी की जांच कराई। जांच के बाद जब पता चला कि टीबी है तो लगा कि बच नहीं पाएंगे। इलाज कराने के लिए पैसे भी नहीं थे। कमाई की जरिया रही दुकान भी बंद हो गयी थी। एक माह इलाज कराने के बाद अक्टूबर 2022 में चरगांवा पीएचसी बुलाया गया, जहां पर विनीता मैडम से मुलाकात हुई। उन्होंने फल, दाल, मूंगफली, गुड़ और सब्जियों की पोटली दी । विनीता मैडम का फोन आता था और वह दवा के बारे में पूछती रहती थीं। इससे महसूस हुआ कि बीमारी के साथ अकेले नहीं हैं। इलाज के दौरान चार बार पोषण पोटली मिली । फरवरी 2023 में स्वस्थ हो गये ।