अब सिर्फ खाके ही नहीं, बल्कि खिलाकर भी इतराएंगे पनवाड़ी, बनारसी पान जीआई टैग मिलने के बाद पनवाड़ियों में गर्वमिश्रित हर्ष





खानपुर। आध्यात्मिक, मांगलिक एवं सामाजिक महत्व वाला पान अब तकनीकी महत्व वाला भी बन गया है। भारत सरकार के जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा बनारसी पान को जीआई टैग मिलने से पान विक्रेताओं में हर्ष का माहौल है। देशभर में बनारसी पान का खूब चलन है और पान का बीड़ा बनाने का तरीका भी काफी आकर्षक है। लहुरी काशी में पान का बीड़ा बांधने की कला बनारसी पान को देश के अन्य इलाकों से विशेष बनाती है। जीआई टैग से पान उत्पाद को कानूनी संरक्षण मिलने के साथ ही उत्पाद की अच्छी गुणवत्ता का पैमाना भी बन गया है। इस टैग से पान उत्पादन के विकास और फिर इस क्षेत्र में विशेष रोजगार से लेकर राजस्व वृद्धि तक के द्वार खुल गए। जीआई टैग मिलने से बनारसी पान से जुड़े इलाकों की विशेष पहचान बनेगी। पान विक्रेताओं का कहना है कि जीआई टैग मिलने से गुटखा उद्योग से संघर्ष कर रहे पान व्यवसाय को वैश्विक बल मिलेगा। जीआई टैग मिलने से पान को विदेशी बाजार में फायदा मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बनारसी पान की कीमत व महत्व बढ़ जाएगा। जीआई टैग को वैश्विक बाजार में एक ट्रेडमार्क की तरह देखा जाता है। पान के शौकीनों का कहना है कि बनारसी पान को कई साहित्यकारों एवं कवियों ने आकर्षक, मनोरंजक व ऐतिहासिक बनाते हुए अपनी रचनाओं में जगह दी है। फिल्मी गानों ने बनारसी पान को जन जन में लोकप्रिय बना दिया है। बनारसी पान को वैश्विक मंच पर तकनीकी रूप से प्रमाणिकता मिलने से पान व्यवसाय का जायका बढ़ जाएगा।



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