एक तरफ होलिका में लगेगी आग तो दूसरी तरफ शब-ए-बरात पर कब्रगाह में रोशन होंगे चिराग
खानपुर। बीते साल की तरह इस साल भी होलिका व शब-ए-बरात का पर्व एक ही दिन पड़ा है। इस दौरान मंगलवार की शाम को एक तरफ हिंदू समुदाय द्वारा होलिका दहन करेगा तो दूसरी तरफ मस्जिदों और मजारों पर रात भर मुस्लिम समुदाय द्वारा इबादतों का दौर चलेगा। शब-ए-बरात की अजीम रात मुस्लिम समुदाय परवरदिगार की इबादत करेंगे। सारी रात मोमिनीन खास नमाज अदा करेंगे और शब-ए-बरात पर अपने बुजुर्गों की कब्रगाह पर अजीज चिरागां करेंगे। घरों में रोशनी कर शिरनी की फातेहा भी होगी। शब यानी रात और बरात का मतलब होता है बरी होना है। इस दुनिया को छोड़कर जा चुके लोगों की कब्रों पर उनके स्वजनों द्वारा रोशनी कर दुआ मांगी जाती है। अल्लाह से सच्चे मन से अपने गुनाहों की माफी मांगने से जन्नत में जगह मिलती है। इस्लाम धर्म में चार रातें अशूरा, शबे मेराज, शबे बरात और शबे कद्र को बहुत खास माना जाता है। इन चार रातों के दौरान अल्लाह की इबादत को काफी अहम माना जाता है। मान्यता है कि इन रातों में मांगी गई दुआ जरूर पूरी होती है।