लोग श्रीराम ‘को’ तो मानते हैं लेकिन श्रीराम ‘की’ नहीं मानते, रामचरित मानस के अनुकरण से जीवन होगा सफल - आचार्य
देवकली। देवचंदपुर स्थित हनुमान मंदिर में सप्तदिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन किया गया। इस दौरान संगीतमय प्रवचन करते हुए भीमापार से आये आचार्य राजकुमार पाण्डेय महाराज ने कहा कि रामचरित मानस एक आदर्श ग्रन्थ है, जो पूरे विश्व में पूज्य है। कहा कि इसके सभी पात्र आदर्श से परिपूर्ण हैं। इसमें भाई से भाई, पिता-पुत्र, सास-बहू, मित्र से मित्र, पति-पत्नी आदि के बीच का कैसा संबंध होना चाहिए, इन बातों व जीवन जीने की सम्पूर्ण शिक्षा मिलती है। कहा कि चाहे किसी जाति, धर्म, सम्प्रदाय के मानने वाले हों, सभी के लिए रामचरित मानस अनुकरणीय है। कहा कि आज के समय में लोग श्रीराम ‘को’ तो मानते हैं, परन्तु श्रीराम ‘की’ नहीं मानते हैं। कहा कि मनुष्य के अशान्ति का मूल कारण यही है। कहा कि चौरासी लाख योनियों में भटकने के पश्चात मानव तन मिला है, ताकि परमात्मा का भजन करके आवागमन के बंधन से मुक्त हुआ जा सके। लेकिन इस मायारुपी संसार मे आते ही जीव गर्भ में अपने किये गये वायदे को भूलकर अनेक प्रकार के कष्ट सहन करता है। आयोजक जयप्रकाश दास फलाहारी ने बताया कि प्रवचन रोजाना शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक होगा और 4 मार्च को समापन होगा।