यूक्रेन व रूस की जंग से वापिस नहीं जा रहे साइबेरियन पक्षी, आने वाली गर्मी साबित हो सकती है जानलेवा
खानपुर। हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर भारत भर के कई हिस्सों में हर साल मेहमान साइबेरियन पक्षी आते हैं। आमतौर पर ये उत्तर प्रदेश के तराई इलाकों में आते हैं। जिसमें एक क्षेत्र खानपुर भी है। नदियों की समृद्धता से भरपूर पूर्वांचल के इलाकों में साइबेरियन पक्षियों की कई माह तक खूब चहलकदमी रहती है। गंगा नदी की लहरों पर अठखेलियां करते ये मासूम परिंदे स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों का खूब मनोरंजन करते हैं। इन्हें देखने के लिए जहां दूर-दूर से लोग आते हैं तो कई स्कूल अपने बच्चों को दिखाने के लिए टूर भी ले आते हैं। इनके प्रवास की वजह से गाजीपुर में गंगा नदी में नौकायन और पर्यटन का क्रेज बढ़ा है। नवम्बर महीने के मध्य में ये पक्षी अपने बर्फीले इलाकों को छोड़कर यहां सुकून की तलाश में आते है। यहां चार महीनों के प्रवास बाद पुनः फरवरी माह में मौसम परिवर्तित होते ही साइबेरिया की ओर लौट पड़ते हैं। लेकिन इस साल अधिकांश साइबेरियन प्रजाति के पक्षी नदियों से निकलकर जलीय खेतों और जलाशयों की ओर अपना आशियाना बना रहे हैं। पिछले दिनों गंगा के तराई इलाके में चोचकपुर के खेतों और जलाशयों में बहुतायत संख्या में इन पक्षियों को देखकर ग्रामीणों सहित किसानों में रोमांच भर गया। बेहद सौम्य एवं सरल स्वभाव के इन पक्षियों का चहचहाना और लहरदार उड़ान हर किसी को लुभाता है। जानकारों का मानना है कि इस साल यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग की वजह से उस इलाके के पर्यावरण में बारूद के गंध और आग के धुंए ने इन परिंदों को वापिस लौटने से रोक दिया है। लंबे समय से चल रहे युद्ध की वजह से पर्यावरणीय प्रदूषण एवं भयानक शोरगुल से ये पक्षी अपने मूल स्थलों पर लौटना नहीं चाहते हैं। लेकिन समस्या ये है कि भारत जैसे बेहद गर्म देश में आने वाले कुछ माह में ये साइबेरियन पक्षी कैसे रहेंगे? क्योंकि इनकी हर क्रिया बेहद ठंडे माहौल में ही होती है। अगर ये पक्षी आने वाले कुछ दिनों में ही वापिस नहीं गए तो यहां की गर्मी इनके लिए जानलेवा साबित होगी।