सरकार ने 4 लाख का बनवाया शेड लेकिन नहीं हैं पशु, भूसा घर से भूसा गायब व गेट है लेकिन चहारदीवारी ही गायब
खानपुर। क्षेत्र के लौलेहरा गांव में करीब चार बीघे जमीन पर लाखों खर्च कर बना गोवंश आश्रय स्थल उपेक्षा का शिकार होकर बदहाल पड़ा हुआ है। चार लाख रुपये की लागत से चरनी बनी हुई है लेकिन पशुओं के लिए चारा नहीं है। कैटल शेड है पर पशु नहीं है। भूसा घर है पर भूसा नहीं है और गेट है पर चहारदीवारी ही नहीं है। बेसहारा पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए चार वर्ष पूर्व लौलेहरा गांव में पशुचर के चार बीघे जमीन पर पशु आश्रय केंद्र की स्थापना की गई। जहां पशुओं को पानी पीने के लिए सरोवर बनाया गया। भूसा कक्ष, चौकीदार का आवासीय कमरा और एक साथ तीस गोवंशों के लिए चारा खाने की चरनी बनाई गई। लेकिन आज हकीकत यह है कि इस विशाल पशु आश्रय स्थल में दो तीन घुमंतू गोवंश स्वयं आकर सरकार के इस आश्रय स्थल को मुंह चिढ़ा रहे हैं। इस आश्रय स्थल में आस पास के लोग भेड़ बकरियां बांधते हैं। बच्चों ने इसे खेल का मैदान बना दिया है। क्रिटिकल गैप्स योजना के तहत बने इस गोवंश आश्रय स्थल में जितने पशु मौजूद हैं, उससे कई गुना अधिक बाहर घूमकर फसलों को नष्ट कर रहे हैं। इसके अलावा अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं भी इन्हीं की वजह से हो रही हैं। सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार लोग चुप्पी साधे हुए हैं। बेसहारा पशु फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें और सड़कों पर न घूम सकें, इसके लिए इनकी सुरक्षा और देखभाल के लिए सरकार की ओर से इस पशु आश्रय केंद्र की स्थापना की गई है। लौलेहरा गांव की महत्वपूर्ण जमीन देकर इसे बड़े पैमाने पर गौशाला बनाई गई लेकिन सरकार के जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों की अनदेखी ने इस गोवंश आश्रय स्थल की दुर्दशा कर दी है। चार बीघे में फैले इस गौशाला के चारों ओर ऊंची मेड़बंदी कर बाहर की ओर गहरा नाला बनाया गया था ताकि पशु भाग न सकें। पानी पीने के लिए मनरेगा की मदद से सरोवर बनाया गया। भूसा घर और चौकीदार कक्ष बनाया गया। अधिकारियों की लापरवाही से सब व्यर्थ और नष्ट हो गया। लोहे की पाइप, फाइबर शेड के पत्ते, रेलिंग की छड़ें और चरनी के अन्य सामान सहित पशुओं को बांधने के लिए लगाए गए खूंटियों को चोर उखाड़ ले गए।