किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए स्काउट गाइडों ने निकाली जागरूकता रैली, आधा दर्जन गांवों में जाकर समझाया





जखनियां। क्षेत्र के मनिहारी स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय के स्काउट शिक्षक संतोष कुशवाहा ने स्काउट गाइडों के साथ आधा दर्जन गांवों में पराली न जलाने के बाबत जागरूकता रैली निकाली। जागरूक करते हुए कहा कि आज के समय में जो किसान अपनी धान की पराली को खेतों में जलाते हैं, उनसे बहुउद्देश्यीय क्षति होती है। कहा कि शोध से ये जानकारी मिली है कि 6 से 7 महीने में पराली जलाने पर पौधों के जमाव एवं वृद्धि पर भारी नुकसान पड़ता है। जिसका प्रभाव खेत की मृदा पर भी पड़ता है। इससे मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ के साथ ही जमीन में पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणुओं का सफाया हो जाता है और मृदा में मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। जिसके कारण पौधों या फसल का विकास रुक जाता है। इसके अलावा पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित तो होता ही है, लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इससे सांस लेने में समस्या आती है, आंखों में जलन की समस्या होता है। उन्होंने साफ मना करते हुए कहा कि किसी भी हाल में खेतों में पराली न जलाएं। पराली जलाने की प्रथा को तोड़ने के लिए कई विभागों द्वारा अनेक कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। बताया कि कृषि यंत्रीकरण योजना के माध्यम से रीपर कम बाइडर, स्ट्रॉबेनर तथा रोटरी मल्चर पर शासन ने आकर्षक अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू की है। ताकि इन मशीनों से पराली को खत्म किया जा सके। इस दौरान उन्होंने क्षेत्र के मोहब्बतपुर, खड़बाडीह, सेमरा, सिंहनाथ, अड़िला आदि कई गांवों में जागरूकता अभियान चलाया।



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