टीबी होने के बाद न आए हताशा, इसलिए फोन कर साथ देते हैं टीबी चैंपियन, रजनीश को मिला साथ तो दे दी टीबी को मात
गोरखपुर। क्षय रोग यानि टीबी के इलाज की राह आसान हो जाती है अगर नियमित दवा सेवन के साथ-साथ मरीज को मानसिक सम्बल भी दिया जाए। टीबी मरीज रजनीश (24) की कहानी भी कुछ ऐसी है। उन्हें इलाज के दौरान पर्याप्त मानसिक सम्बल मिला और नतीजा यह रहा कि वह छह महीने में ही ठीक हो गये। बांसगांव ब्लॉक क्षेत्र के उनवल निवासी रजनीश बताते हैं कि जुलाई 2021 में उन्हें खांसी आई। खांसी के साथ बलगम नहीं आता था इसलिए उन्होंने इसे सामान्य खांसी समझा। रात में बुखार चढ़ता था जो सुबह ठीक हो जाता था। करीब एक माह तक मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खाने की गलती की और समस्या बढ़ने लगी। गांव की आशा कार्यकर्ता साधना ने उन्हें अस्पताल चलने की सलाह दी। आशा उन्हें साथ लेकर बांसगांव सीएचसी गयीं, जहां एक्स रे जांच में टीबी की पुष्टि हुई। सीनियर ट्रिटमेंट सुवरवाइजर (एसटीएस) राकेश ने उन्हें निःशुल्क दवाइयां दीं और कहा कि एक भी दिन दवा बंद नहीं करनी है। अगस्त 2021 से उनका इलाज शुरू हुआ। रजनीश बताते हैं कि इलाज शुरू हुए एक माह हुआ था कि उन्हें टीबी चैंपियन ज्योति साहनी ने फोन किया और बताया कि वह खुद भी दवा खा चुकी हैं। यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। दवा एक भी दिन बंद नहीं करनी है। रजनीश का कहना है कि ज्योति बार-बार फोन करती थीं और हालचाल लेती रहती थीं। कई बार मिलकर भी समझाया। ज्योति ने यह भी बताया कि प्रोटीनयुक्त आहार ही लेना है। ठंडी चीजें नहीं खानी हैं। रजनीश को इलाज के दौरान भूख न लगने की समस्या आई तो ज्योति ने समझाया कि थोड़ा-थोड़ा खाना दो तीन बार खा सकते हैं। दाल रोटी, दूध, पनीर आदि का सेवन करना है। मानसिक सम्बल और सही सलाह देने का असर रहा कि एक भी दिन दवा बंद नहीं हुई और जनवरी 2021 तक रजनीश ठीक हो गये। पेशे से ड्राइवर रजनीश बताते हैं कि उन्हें पोषण के लिए 3000 रुपये उनके खाते में भी मिले जो उनके लिए काफी मददगार बने, क्योंकि इलाज के दौरान उनका कामकाज बंद हो गया था। जिले में वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था द्वारा यूनाइट टू एक्ट प्रोजेक्ट के तहत जिले में 12 टीबी चैंपियंस की मदद से 1126 टीबी मरीजों का मनोबल बढ़ाया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। जिला समन्वयक शक्ति पांडेय का कहना है कि पहले टीबी चैंपियंस द्वारा घर-घर जाकर टीबी मरीजों को मानसिक सम्बल दिया गया और अब छह टीबी सपोर्ट हब के जरिये मरीजों को सही सलाह दी जा रही है। छह अन्य टीबी चैम्पियन टेलीफोन के जरिये टीबी मरीजों को मानसिक सम्बल प्रदान कर रहे हैं। जब किसी टीबी मरीज को कोई टीबी चैंपियन, जो कि खुद मरीज रह चुका है, समझाता है तो उसके सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। मरीजों को उपचार, दवाओं से होने वाले प्रतिकूल प्रभाव, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति व अन्य आवश्यक परामर्श दिये जाते हैं।