पुण्यतिथि विशेष : खेलने की उम्र में देश को आजाद कराने में जुट गए थे श्रवण, बीमारी में भी मनाते थे राष्ट्रीय त्योहार





खानपुर। क्षेत्र के हथौड़ा गांव में भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सेनानी श्रवण यादव की दूसरी पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई गई। इस दौरान उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया गया और उनके योगदानों को याद किया गया। पूर्व प्रधान मुरारी मोहन पांडेय ने कहा की स्व. यादव 103 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। कहा कि जब लोग किशोरावस्था में मनोरंजन करते हैं, उस वक्त स्व. यादव मां भारती को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए जंग में कूद गए। कहा कि औड़िहार एवं राजवारी रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़, रामपुर नील गोदाम में उपद्रव, सैदपुर तहसील में आगजनी के अलावा अंग्रेज सिपाहियों से मारपीट करने के आरोप में वो कई बार जेल भी गए। कभी किसान, कभी चरवाहा, कभी नाविक तो कभी साधु का भेष बनाकर वो अंग्रेज सिपाहियों को चकमा देने में माहिर थे। वो अंग्रेजों की गिरफ्त से बचने के लिए गांव के पास ही नदी किनारे पेड़ पर अपना ठिकाना बनाकर वहीं रहते थे। अपने जीवन में सैकड़ों पीपल और बरगद के पेड़ लगाने वाले देशभक्त श्रवण यादव को पौधरोपण करने और जल बचाने का भी जुनून था। अपने जीवन के अंतिम सांस तक वो देशभक्ति गीतों को गाते और सुनते रहे। हर राष्ट्रीय पर्व पर वो बीमारी की ही अवस्था में बिस्तर पर लेटे रहकर तिरंगे को सलामी देना नहीं भूलते थे। उनके परिजन भी इसमें उनका साथ देते थे। इस मौके पर भोला यादव, जगदीश यादव, ग्रामप्रधान रमेश पासवान, शिवाजी, राममूरत यादव, सुभाष, नीरज, अरुण, दीपक कुमार आदि मौजूद रहे।



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