रीढ़ की हड्डी के रोगों के बाबत हुआ जागरूकता कार्यक्रम, विशेषज्ञ द्वारा लोगों को किया गया जागरूक
खानपुर। क्षेत्र के सिधौना स्थित मारकंडेश्वर न्यूरो सेंटर में विश्व स्पाइन दिवस पर रीढ़ की हड्डी के रोगों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ आशुतोष पांडेय ने बताया कि रीढ़ की हड्डी संबंधी विकार विकलांगता के प्रमुख कारणों में है। स्वयं की अच्छी देखभाल से रीढ़ के दर्द और विकलांगता को रोकने के लिए सभी उम्र के लोगों को सूचित, शिक्षित और प्रेरित करना जरूरी है। कम्प्रेसिव मायलोपैथी नामक बीमारी रीढ़ की हड्डियों को संकुचित कर उन्हें कमजोर बना देती है। कमर से लेकर सिर तक जाने वाली रीढ़ की हड्डी के दर्द को स्पॉन्डिलाइटिस कहते हैं। यह ऐसा दर्द है जो कभी नीचे से ऊपर और कभी ऊपर से नीचे की ओर बढ़ता है। रूमैटिक गठिया के कारण गर्दन के जोड़ों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे गंभीर जकड़न और दर्द पैदा हो सकता है। स्पाइनल टीबी, स्पाइनल ट्यूमर, स्पाइनल संक्रमण भी इस रोग के प्रमुख कारण हैं। कई बार खेलकूद, रफ डाइविंग या किसी दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी के बीच स्थित डिस्क अपने स्थान से हटकर स्पाइनल कैनाल की ओर बढ़ जाने से भी समस्या होती है। दर्द और सूजन कम करने वाली दवाओं और गैर ऑपरेशन तकनीकों से इलाज किया जाता है। गंभीर दर्द का भी कॉर्टिकोस्टेरॉयड से इलाज किया जा सकता है, जो पीठ के निचले हिस्से में इंजेक्ट की जाती है। रीढ़ की हड्डी को मजबूती और स्थिरता देने के लिए फिजियोथेरेपी की जाती है। इसके अलावा नियमति योगाभ्यास, संतुलित वजन और संयमित खानपान से स्पाइन की समस्या से निजात पायी जा सकती है।