रेलवे ने 70 साल के रावण दहन परंपरा पर लगाई रोक, पुतले को तय स्थान से निकाला बाहर, कोर्ट जाएंगे पूर्व एमएलसी


सैदपुर। स्थानीय औड़िहार जंक्शन के बाहरी हिस्से में आयोजित रामलीला एवं दशहरा पर रावण दहन को लेकर समिति एवं स्थानीय रेल प्रशासन की तनातनी पर रामलीला समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व एमएलसी डॉ. कैलाश सिंह के प्रयास से विराम लग गया। समिति अब पूर्व में रावण दहन होने वाली जगह से हटकर गांधी द्वार के पास रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित करेगी। लेकिन इसी के साथ एक ऐसी ऐतिहासिक घटना होगी, जो 70 सालों में नहीं हुई थी। 70 सालों से हो रहे रावण दहन का स्थान बदल जाएगा। समिति के अध्यक्ष डॉ. कैलाश सिंह ने कहा कि समिति ने रेल विभाग से रामलीला मंचन एवं मेला के लिए निश्चित किराया पर जमीन आवंटित करा रखी है। जिसके लिए एसडीएम समेत डीआरएम से परमीशन भी मिला है। लेकिन स्थानीय रेलवे सुरक्षा बल के कुछ अधिकारी उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना एवं धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए मनमानी कर रहे हैं। कहा कि समिति इस मनमानी को लेकर न्यायायलय में गुहार लगाएगी। आयोजक आशीष सिंह गुंजन ने कहा कि पिछले 70 सालों से डीआरएम की अनुमति से रेलवे का जमीन किराए पर लेकर रामलीला और रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। इस ऐतिहासिक आयोजन पर रोक लगाना सरासर अनुचित और धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। जिसके बाद गाजीपुर एसपी के निर्देश पर कोतवाल विमलेश मौर्य और आरपीएफ अधिकारियों ने कार्यकम स्थल का निरीक्षण किया। इसके बाद रेलवे संपत्ति की सुरक्षा का हवाला देते हुए रावण के पुतले को परिसर के चहारदीवारी से बाहर लगाने का निर्णय लिया गया। वहीं पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के जनसम्पर्क अधिकारी अशोक कुमार ने कहा कि बीते समय में पंजाब में रावण दहन के समय हुई घटना में 5 दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत व सैकड़ों व्यक्तियों के घायल होने के चलते ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए रेल परिसर में आग से जुड़े किसी भी कार्यक्रम को इजाजत नहीं दिया जा रहा है। बताया कि कार्यक्रम स्थल के पास ही रेलवे टिकट घर, प्रवेश व निकास द्वार होने कारण जनहित में इस पर रोक लगाई गई है। आरपीएफ़ प्रभारी निरीक्षक एके सुमन ने कहा कि उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार यात्रीहित एवं जनसुरक्षा को ध्यान देते रावण के पुतले के दहन को रेल परिसर में रोका गया है। इस मौके पर राजेंद्र पाठक, श्रवण कुमार सिंह, जानकी प्रसाद, रामजतन कुशवाहा, आलोक सिंह, काजू पाठक, ब्रजेश पाठक, विश्वनाथ राम, आशीष सिंह, आनन्द कुमार, गुड्डू सिंह, राहुल कुमार, राजेन्द्र पाठक आदि रहे।