7 ग्रंथों के संयुक्त संवाद के साथ सिधौना में होती है 65 साल पुरानी रामलीला, होता है जीवंत मंचन
खानपुर। क्षेत्र के सिधौना गांव में शारदीय नवरात्रि में आयोजित होने वाली रामलीला अपनी उत्कृष्टता और विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है। 65 साल पुरानी रामलीला अपने आकर्षक मेकअप, भव्य मंचन एवं जीवंत अभिनय के लिए जानी जाती है। रामलीला मंचन के दौरान कलाकारों द्वारा बोले गए संवाद की अपनी अलग विशेषता है। रामायण के सात अलग अलग ग्रंथों से निचोड़ कर सिधौना रामलीला के संवाद लिखे गए है। हिंदी, अवधी, भोजपुरी, मैथिली के भाषाओं के साथ चित्रकूट की लोक भाषा का समावेश किया गया है। वाल्मीकि रामायण के मूल कथा को लेकर रामचरितमानस सहित अन्य पांच और ग्रंथों से रामलीला के संवाद लिखे गए है। आमजन को सुलभता से समझने और सुगमता से आत्मसात करने के लिए संवाद में लोक भाषाओं, लोकोक्तियों, कहावतों आदि का ज्यादा प्रयोग किया गया है। संवाद लेखन के लिए पहला ग्रंथ महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण है, जिसमें 24 हजार श्लोक, 500 उपखण्ड एवं 7 कांड है। दूसरा ग्रंथ गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरित मानस है, जिसमें 9 हजार 388 चौपाइयां, 1172 दोहे और 108 छंद हैं। इसके अलावा कथावाचक राधेश्याम रामायण, जिसमें आठ कांड और 25 भाग है। बद्री सिंह चौहान लिखित रामरस सुधा और जनकपुर के विशिष्ट वर्णन एवं फुलवारी प्रसंग के लिए प्रसिद्ध बसुनायक रामायण से कुछ अंश लिए गए है। 12वीं शताब्दी में तमिल भाषा में लिखे गए कब रामायण से किष्किंधा कांड का कुछ प्रसंग लिया गया है। रंगनाथ रामायण और भावार्थ रामायण के कुछ प्रसंगों के अच्छे अंश को संकलित कर सिधौना रामलीला के संवाद बनाये गए है। 65 वर्ष पूर्व आदर्श रामलीला समिति सिधौना के आधा दर्जन संस्थापकों ने पूरे साल भर मेहनत कर इन ग्रंथों को पढ़ने समझने के बाद रामलीला मंचन के लिए संवाद तैयार किया है। जिसमें बाद में रावण संहिता से संबंधित भी कुछ संवाद और प्रसंग भी जोड़े गये।