डीएम साहिबा! गाजीपुर में एक सरकारी अस्पताल ऐसा भी, भीमापार पीएचसी पर मरीजों संग हो रहा खिलवाड़
भीमापार। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री लोगों के स्वास्थ्य के लिए तरह-तरह की योजनाएं धरातल पर लाने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ भीमापार में स्वास्थ्य विभाग मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहा है। मामला भीमापार के नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भीमापार का है। जहां पर अस्पताल फार्मासिस्ट, वार्डब्वाय और स्वीपर के भरोसे चल रहा है। स्वीपर तक मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मामले को लेकर जिले के आला अधिकारी मौन धारण किए हैं। मंगलवार को इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से चिकित्सक नदारद रहे। यहां कार्यरत फार्मासिस्ट चिकित्सक की जिम्मेदारी निभाते मिले। जबकि ओपीडी चलने का समय सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक का है। लैब असिस्टेंट की तैनाती न होने से यहां मरीजों की कोई भी जांच नहीं हो पा रही है। जांच की उम्मीद लेकर आए मरीजों को वापस लौटना पड़ता है। ऐसे में मरीज बाहर ही जांच कराने को विवश हैं। दोपहर करीब 12 बजे पहुंचे दर्जनों मरीजों को चिकित्सक के न होने पर फार्मासिस्ट द्वारा कुछ गोलियां देकर विदा कर दिया गया था। न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात फार्मासिस्ट अनिल कुमार यादव, वार्ड ब्वॉय दुर्गा सिंह व स्वीपर विनोद कुमार यादव अस्पताल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यहां पर तैनात चिकित्सक डॉ आशीष मिश्रा हमेशा नदारद रहते हैं। पूछने पर ये कहकर टरकाया जाता है कि डॉक्टर की ड्यूटी पोस्टमार्टम आदि में लगी है। वहां पर उपचार को आयी मरीज सुनीता ने बताया कि मैं जब भी आती हूं तो डॉक्टर नहीं मिलते हैं। फार्मासिस्ट या अन्य लोगों से दवा लेना पड़ता है और जांच बाहर करानी पड़ती है। बता दें कि यहां पर चिकित्सा अधिकारी के दो पद हैं लेकिन तैनाती एक की ही है। न ही यहाँ प्रयोगशाला सहायक नियुक्त हैं ना ही स्टाफ नर्स। यहां तक कि एएनएम तक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिससे महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भीमापार, अमुआरा, उचौरी, खजुरहट, पहाड़पुर, निन्दीपुर, खैरा, जगदीशपुर, रामदासपुर, सेमरौल, बरहपार आदि करीब दो दर्जन गांवों के लोग इलाज के लिए आते हैं। स्थिति ये है कि चिकित्सकों के न होने के चलते अब इस केंद्र पर सिर्फ खाँसी, बुखार, जुकाम आदि के ही मरीज आते हैं। जबकि डॉक्टरों के रहने के लिए लाखों रुपये खर्च कर आवास भी बने हैं। देख रेख के अभाव में वो भी जर्जर अवस्था में है। उनके चारों तरफ घास फूस और गन्दगी फैली रहती है।