टीबी उन्मूलन की लड़ाई में भागीदार बनेगा नगर निगम, ब्रांड एंबेसडर व सदर सांसद रविकिशन ने पांच टीबी रोगियों को लिया गोद
गोरखपुर। वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के संकल्प को पूरा करने में नगर निगम के पार्षद और कर्मचारी भी भागीदारी निभाएंगे। इस संबंध में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की गोरखपुर ईकाई की टीम ने नगर निगम से जुड़े सभी लोगों को सोमवार को हुए एक कार्यक्रम में जागरूक किया। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के ब्रांड एंबेसडर व सदर सांसद रवि किशन की उपस्थिति में यह आयोजन हुआ। सांसद ने इस मौके पर पांच टीबी रोगियों को गोद लिया। सांसद के साथ साथ महापौर डॉ सीताराम जायसवाल की मौजूदगी में नगर निगम सभागार मौजूद सभी लोगों ने टीबी उन्मूलन के लिए शपथ ली। सांसद ने अपील किया कि टीबी मरीजों को ढूंढने में सभी लोग मददगार बनें। लोग स्वेच्छा से टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए आगे आएं। टीबी मरीजों से भेदभाव नहीं करना है और उनको मानसिक संबल देना है, ताकि वह जल्दी स्वस्थ होकर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकें। उन्होंने टीबी उन्मूलन में स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा की टीबी के प्रति समाज में फैली मिथक व भ्रांतियों पर प्रहार करना होगा। महापौर ने कहा कि नगर निगम इस बीमारी के उन्मूलन में सक्रिय सहयोग देगा। उपसभापति ऋषिमोहन वर्मा ने बताया कि सभी पार्षदों और अन्य लोगों ने संकल्प लिया है कि अपने क्षेत्र के हर एक संपर्की को जागरूक करेंगे और टीबी मरीजों की मदद करेंगे। नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने मोहल्ला निगरानी समितियों के जरिये टीबी उन्मूलन के लिए प्रयास करने की अपील की। सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे द्वारा बताया गया कि दो सप्ताह से अधिक की खांसी टीबी हो सकती है, मगर प्रत्येक खांसी टीबी नहीं होती है। अगर यह दिक्कत है तो टीबी की जांच अवश्य कराएं। शरीर में टीबी मुख्यतया फेफड़ों को ही प्रभावित करती है लेकिन शरीर के अन्य अंगों में भी टीबी होती है। नाखून और बाल छोड़ कर शरीर के किसी भी अंग में टीबी हो सकती है। ऐसी टीबी एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी कहलाती है और इसकी पहचान विशेषज्ञों द्वारा ही की जाती है। गैर फेफड़े वाले टीबी मरीज तो संक्रमण नहीं फैलाते लेकिन फेफड़ों के टीबी का धनात्मक मरीज अगर उपचार नहीं लेता है तो साल भर में 10 से 15 लोगों को मरीज बना देता है। खांसी के अलावा अगर रात में पसीना और बुखार आए, वजन तेजी से घटने लगे, भूख न लगे और बलगम में खून आए तो यह भी टीबी का लक्षण हो सकता है। ऐसे लोगों को तुरंत टीबी जांच के लिए प्रेरित करना है। यदि टीबी की समय से पहचान हो जाए तो छह महीने के इलाज में भी यह बीमारी ठीक हो जाती है। इस दौरान टीबी उन्मूलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अभय नारायण मिश्रा, जितेंद्र गिरी, सुरेंद्र गौड़, राजेश गुप्ता, धर्मवीर प्रताप सिंह, राजेश सिंह और मिर्जा आफताब अहमद बेग को सम्मानित किया गया। इस मौके पर उपजिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, सांसद प्रतिनिधि पवन दूबे, सोनू द्विवेद्वी, उप नगर आयुक्त संजय शुक्ला, आरिफ सिद्दीकी, एजाज आलम, पवन मिश्रा, डॉ भोला, डॉ एमए बेग, आसिफ, मनीष त्रिपाठी, केशवधर दूबे, अभयनंदन आदि रहे।