चातुर्मास शुरू होते ही शयन को गए श्रीहरि, अगले 4 माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य, महादेव बने सृष्टि के संचालक





खानपुर। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारम्भ हो गया। आने वाले चार महीनों तक भगवान विष्णु शयन निद्रा में चले गये। इन चार महीनों के दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो गये है लेकिन पूजापाठ करने पर कोई पाबंदी नहीं होती है। आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाने से चातुर्मास में महादेव शंकर सृष्टि का संचालन करेंगे। इस दौरान किसी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किये जाएंगे। मांगलिक कार्यों की फिर शुरुआत कार्तिक मास की देवउत्थान एकादशी से होगा। गौरी पर्णकुटी के महंत अरुण दास कहते है कि सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। इसमें आने वाले चार महीने जिसमें श्रावण, भाद्रप्रद, अश्विन और कार्तिक का महीना है। चातुर्मास का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ये चार माह खानपान में अत्यंत सावधानी बरतने के होते हैं। वर्षा ऋतु और बदलते मौसम से शरीर में रोगों का मुकाबला करने अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इन चार महीनों में व्यक्ति की पाचनशक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसके अलावा भोजन और जल में हानिकारक बैक्टीरिया की तादात भी बढ़ जाती है। इन कारणों से वैदिक काल से ही यात्रा करना या मंगल आयोजन करना जन हिताय में बंद कर दिया गया है। ये चार माह वर्षा के कारण हवा में नमी काफी बढ़ जाती है। जिसके कारण बैक्टीरिया, कीड़े, जीव जंतु आदि बड़ी संख्या में पनपते हैं। सब्जियों में जल में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इस दौरान शरीर की पाचनशक्ति भी कमजोर हो जाती है, इसलिए संतुलित और हल्का, सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती है। व्रत के साथ जप तप और साधना के लिए चातुर्मास का समय अनुकूल माना गया है।



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