सप्तदिवसीय रामकथा के अंतिम दिन हुआ रामसीता विवाह का प्रसंग, सुनकर भावविभोर हुए श्रद्धालु





खानपुर। क्षेत्र के सिधौना स्थित सिद्धेश्वर धाम में चल रहे सप्तदिवसीय रामकथा के अंतिम दिन रामसीता विवाह का प्रसंग सुनाया गया। कथावाचक शशिकांत महाराज ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम एक आदर्श राजा, आज्ञाकारी पुत्र और आदर्श पति होने के साथ ही प्रबल योद्धा भी हैं। वाल्मिकी रामायण के आदिकाव्य में रामकथा के प्रथम गान होने के बावजूद तुलसीकृत रामचरित मानस लोकभाषा में होने के कारण रामकथा को जनसाधारण में अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया। इसमें भक्ति भाव की प्रधानता है तथा राम का ईश्वरत्व पूरी तरह उभर आता है। सीता-राम का विवाह प्रसंग पढ़ने सुनने एवं भक्ति रस का आस्वाद लेने में अत्यंत मधुर है। सीता मैया के अवतरण से लेकर विवाह तक के प्रसंगों में आध्यात्मिकता, भावनात्मकता एवं आधुनिकता के विविध रंगों का समावेश है। संत राममिलन पाठक ने कहा कि श्रीराम शक्ति, शील और सौंदर्य की प्रतिमूर्ति हैं। अवध को राम ने शील से जीता, जनकपुरी को सौंदर्य और लंका को शक्ति से जीता था। नरलीला की पूर्णता के लिए अभिन्न सीता एवं राम लौकिक दृष्टि से कुछ समय के लिए भिन्न भी हो जाते हैं। सीता और राम का विवाह लोक नीति से संपन्न हुआ है। जिसमें इच्छा स्वयंवर, प्रण स्वयंवर, लौकिक रीति और शास्त्रीय विधि विधान का अद्भुत समन्वय है।



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