1 से 15 जून तक चलेगा सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा, विभाग ने संभाली





ग़ाज़ीपुर। प्रदेश में इन दिनों मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव के चलते डायरिया सहित कई तरह की बीमारियां बढ़ने की संभावना है। इसी को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरे प्रदेश में 1 से 15 जून तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाने का निर्देश दिया है। जिसके कड़ी में बुधवार को नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हाथीखाना पर एसीएमओ डॉ केके वर्मा ने हैंड वाशिंग का डेमोंसट्रेशन और बच्चे को ओआरएस का घोल पिलाकर शुभारंभ किया। एसीएमओ ने बताया कि शासन से मिले निर्देश के क्रम में 1 जून से शुरू होने वाले पखवाड़े का बुधवार से शुरुआत किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में बाल मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित व्यक्ति पर 48 है। बाल्यावस्था में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में लगभग 10 प्रतिशत मृत्यु दस्त के कारण होती है। इस दस्त का एकमात्र उपचार ओआरएस घोल एवं जिंक की गोली से करके बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। जिसको लेकर डायरिया से बचाव एवं प्रबंधन के संबंध में प्रत्येक वर्ष की भांति इस साल भी सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बाल्यावस्था में दस्त के दौरान ओआरएस व जिंक के उपयोग के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना, समुदाय स्तर तक ओआरएस व जिंक की उपलब्धता तथा इसके उपयोग को बढ़ावा देना है। साथ ही स्वच्छता के मद्देनजर हाथों को साफ रखने से विभिन्न रोगों से परिवार को सुरक्षित भी रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस पखवाड़े ने ऐसे परिवार को चिन्हित करना है जिनमें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हो और दस्त रोग से ग्रसित हो। 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चे वाले परिवार को प्राथमिकता देना है। सब सेंटर जहां पर एएनएम ना हो अथवा छुट्टी पर हो अति संवेदनशील क्षेत्र वाले परिवार पर विशेष ध्यान देना होगा। सफाई की कमी वाली जगहों पर निवास करने वाली जनसंख्या पर विशेष ध्यान देना होगा, साथ ही उन्हें सफाई और स्वच्छता को लेकर जागरूक करना होगा। जनपद में ऐसे क्षेत्र जहां पूर्व में डायरिया आउटब्रेक हुआ हो एवं बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्र छोटे गांव या छोटे कस्बे जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो ऐसे क्षेत्रों पर इस पखवाड़े के तहत विशेष ध्यान देना है। इस मौके पर एसीएमओ डॉ मनोज सिंह, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ, डीपीएम प्रभुनाथ, डीसीपीएम अनिल वर्मा, डॉ ईशानी वर्धन आदि रहे।



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