वाह नंदनी! पूरी दुनिया में लहरा दिया सैदपुर का परचम



विवेक सिंह की खास खबर



नंदगंज/सैदपुर। नगर के टाउन नेशनल मैदान में विश्व चैंपियनशिप खेल चुकी यूपी से 3 बार बेस्ट एथलीट का अवार्ड ले चुकीं महिला एथलीट नंदनी गुप्ता का भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान सभी ने उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया। देवकली के बड़हरा निवासिनी नंदनी गुप्ता सैदपुर पहुंचीं। जहां उनके कोच दिवाकर यादव समेत अमरजीत सिंह, रुद्रपाल यादव आदि ने उन्हें सम्मानित किया। गोवर्धन गुप्ता की पुत्री नंदनी ने 2011 से खेलना शुरू किया और बेहद कम समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गईं। उन्होंने बहरीन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के अलावा अब तक जूनियर नेशनल में 4 स्वर्ण, जूनियर फेडरेशन कप में 2 स्वर्ण, क्रॉस कंट्री नेशनल जूनियर में 2 स्वर्ण समेत दर्जनों मेडल्स व नकद राशि जीता है। ये भी बताया कि एक बार पासपोर्ट न बन पाने के कारण वो 2014 में चीन में आयोजित प्रतियोगिता में चयन के बावजूद हिस्सा ही नहीं ले पाईं। नंदनी ने बताया कि 2011 में उन्होंने 400 मीटर रेस से एथलेटिक्स शुरू की थी। इसके बाद कोच दिवाकर यादव ने उन्हें सहयोग किया और 2012 में वो लखनऊ के केडी सिंह हॉस्टल के लिए चयनित हो गईं। वहां कोच विमला ने उनका इवेंट बदलवाया और उसे 1500 व 3000 मीटर का स्टिपल चेज करा दिया। इसके बाद नंदनी ने 2012 में पहली बार सहारनपुर में हुए राज्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और रजत पदक हासिल किया। इसके बाद सहारनपुर इसके बाद नवंबर 2012 में जूनियर नेशनल में अंडर 16 में 1 किमी व 3 किमी रेस में दो कांस्य पदक हासिल किए। 2016 में बहरीन देश में आयोजित जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। हालांकि उसमें वो देश के लिए कोई पदक नहीं ला सकीं। इसके बाद 2017 में उन्होंने जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में रिकार्ड तोड़ दिया। स्टिपल चेस इवेंट में उन्होंने 11.4 सेकेंड के रिकार्ड को महज 10.50 सेकेंड में ध्वस्त कर दिया। इसके बाद 1500 मीटर में स्वर्ण हासिल किया। नंदनी ने यूथ नेशनल प्रतियोगिता में भी 2 स्वर्ण पदक हासिल किया है। वर्तमान में वो खेल कोटे से ही रेलवे में नौकरी हासिल कर इलाहाबाद में सीनियर क्लर्क के पद पर तैनात हैं। उन्होंने बताया कि उनके खेल के लिए उन्हें कई बार एक लाख रूपए से अधिक की नकद राशि से भी सम्मानित किया जा चुका है। दो भाई व दो बहनों में तीसरे नंबर की नंदनी के पिता खेती करते हैं और मां गृहणी हैं। खेल को भविष्य बनाने का निर्णय लेने के दौरान घर में आय का कोई ठोस साधन नहीं था। इसके बावजूद मां-पिता ने उनके निर्णय का साथ दिया और इसमें उनकी मदद की कोच दिवाकर यादव ने। सैदपुर में आने के बाद नंदनी ने अपने परिजनों व कोच को उपलब्धि का पूरा श्रेय दिया।



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