47वें मानस सम्मेलन का हुआ समापन, मानस चातकी ने राक्षणराज रावण से मानवों को सीख लेने की कही बात
देवकली। क्षेत्र के ब्रह्म स्थल परिसर में चल रहे सात दिवसीय 47वें मानस सम्मेलन के अंतिम दिन वैदेही सुरभि ने संगीतमय प्रवचन किया। कहा कि आज के मानव से अच्छा लंकापति रावण था, जिसने मां सीता सहित देव व नाग कन्याओं का हरण करने के बाद भी कभी कुदृष्टि नहीं डाली और उन्हें मर्यादित ढंग से रखा। कहा कि आज के मानव को राक्षसों के राजा कहे जाने वाले रावण से सीखना चाहिए। कहा कि रावण से बलशाली जटायु थे। एक बार पूजन के लिए रावण गिद्धनी का दूध लेने जटायु के पास पहुंचा तो जटायु ने रावण को पैर से उठाकर लंका में फेंक दिया था। लेकिन सीता हरण के दौरान रावण ने जटायु का पंख काटकर उन्हें बेबस कर दिया। कहा कि धन्य है भारत, जहां स्त्री रक्षा के लिए पशु पक्षियों ने भी अपनी आहुति दी है। कहा कि आज भाई-भाई का गला काट रहा है, जबकि श्रीराम के वन जाने पर छोटे भाई भरत ने सिंहासन को ठोकर मारकर बड़े भाई के चरण पादुका से राज्य चलाया। कहा कि आज का मनुष्य इतना नीचे आ चुका है कि दुर्घटना होने पर मदद की बजाय वीडियो बनाता है। इस मौके पर रामनरेश मौर्य, अर्जुन पाण्डेय, दयाराम गुप्ता, अवधेश मौर्य, त्रिलोकीनाथ गुप्ता, सोनू वर्मा, नरेन्द्र कुमार मौर्य, विशाल वर्मा, विबोध मौर्य, यशवन्त राम, अजय मौर्य, अशोक कुशवाहा, गोपाल वर्मा, श्रीराम वर्मा, रामकरन शर्मा, अशोक वर्मा आदि रहे। अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन अरविन्द लाल श्रीवास्तव ने किया।