हम पर थोपा गया गाजी का नाम, गाधीपुरी हो जिले का नाम, अमृत महोत्सव के समापन में हिंदू राष्ट्र घोषित करने की बात कह गए अतिथि





सादात। आजादी की 75वीं वर्षगाठ पर गाजीपुर समेत पूरे देश में चल रहे स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव कार्यक्रम का समापन गुरूवार को क्षेत्र के मरदापुर स्थित कृष्ण सुदामा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में हुआ। इस दौरान कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता की पूजा व सामूहिक वन्दे मातरम गायन के साथ हुआ। सर्वप्रथम भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित व पुष्प वर्षा कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। मुख्य अतिथि व पावन चिन्तन धारा के संस्थापक डा. पवन सिन्हा ने कहा कि भारत माता की धरती को हम नमन करते हैं। जिसने हमारी भारत माता के छाती को छलनी किया ये उस तुगलक की धरती नहीं है। हमने अपनी धर्म, संस्कृति औऱ इतिहास को उपेक्षित किया, जिसके परिणाम स्वरूप कुछ मुट्ठी भर लोग हम पर अपना आधिपत्य समझने लगे। अगर आज भी हमने अपनी संस्कृति और इतिहास को नहीं समझा तो समझ लीजिए कि आने वाले समय में फिर हमारा वही हश्र होगा। कहा कि भारत का अस्त कभी नहीं हुआ था और न ही कभी होगा। इस जनपद का नाम गाजीपुर है। आखिर गाजी शब्द ही क्यों हमारे ऊपर थोपा गया, जिसने हमारे ऊपर अत्याचार किया गला काटा। हम स्वामी विवेकानंद, पवाहारी बाबा आदि के नामों को भी तो रख सकते थे। जिन्होंने समाज को बहुत कुछ देने का काम किया। कहा कि आज जरूरत है इस गाजी शब्द को हटाकर नया नाम रखने की। हमें मानसिक गुलामी से निकलने की जरूरत है। हुंकार भरते हुए कहा कि आज हम सबको खड़ा होना पड़ेगा। कहा कि आज ये 16 दिसम्बर का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज ही के दिन भारत ने दिन मात्र 13 दिन के अंदर पाकिस्तान पर विजय हासिल कर उसके 93 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया था। डॉ. सिन्हा ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप इस देश के कर्णधार हैं। हम सभी को समझना होगा कि आने वाले समय में इन्हीं युवाओं के कंधों पर इस देश का दायित्व होगा। हम सबको इंजन बनना पड़ेगा, हमें राष्ट्र चिन्तन करना पड़ेगा। तब हम इस देश के सच्चे सेवक बन सकेंगे। कहा कि बाबा साहब को अच्छे से पढ़ने की जरूरत है। बाबा साहब खुद चाहते थे कि जब देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ है तो भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाय। सोचने की जरूरत है हिंदुस्तान में अंग्रेजों की कुल संख्या 80 हजार से लेकर 1 लाख तक थी फिर भी उन्होंने हमारे ऊपर 200 सालों तक राज किया। क्योंकि हम हिंदुस्तानी जात-पात में बंटे हुए हैं और इसी का फायदा अंग्रेजों ने उठाया। हमें जात पात से उपर उठना होगा। अगर हमने अपने धर्म की रक्षा कर ली तो धर्म खुद हमारी रक्षा करेगा। बतौर मुख्य वक्ता हिन्दू इकोसिस्टम के अध्यक्ष कपिल मिश्रा ने कहा कि स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव क्या है। जो हमारी संस्कृति, धर्म आस्था, और विश्वास का सम्मान करेगा और समाज को जागृत करेगा उसे स्वाधीनता कहते हैं। जिसके लिए चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, खुदीराम बोस आदि अनेकों देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया था। हमने हमेशा संघर्ष किया। मुगल हमारे देश को एक घण्टे के लिए भी गुलाम नहीं बना सके। उसकी हुकूमत आगरा तक 200 किलोमीटर तक ही थी। वो भी छल कपट औऱ झूठ के बल पर। जबकि जो इतिहास हमें गुलामी की पढ़ाई गई, लुटेरे, जेब कतरों को महान बताने का कार्य किया गया वो पूर्णतः गलत है। कहा कि हमारे अंदर स्वाभिमान होना चाहिए। ये भारत ही है जो पूरे विश्व में अपनी संस्कृति औऱ स्वाभिमान को बनाये रखा है। आप लोगां को समझने की जरूरत है कि आज से 100 साल पहले जो साजिश रची गयी थी, आज फिर से वही कुचक्र रचने का काम किया जा रहा है। कहा कि वीर सावरकर, मदन मोहन मालवीय की लिखी किताबों को बंद करने का काम किया गया था। आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त को लाखों हिंदुओं की हत्या कर दी गई। विभाजन की विभीषिका को याद करके फिर कभी दुबारा भारत का विभाजन न हो ये है ये है आजादी का अमृत महोत्सव। जिस दिन भारत में हिन्दू सुरक्षित नहीं रहा, यहाँ कुछ भी सुरक्षित नहीं रहेगा। धर्म के प्रति आस्था होनी सबसे जरूरी है। हिन्दू एकता ही भारत का केवल एकमात्र मंत्र है। भारत का पुनः विभाजन नहीं होने देंगे औऱ अब किसी आंतकवादी का आक्रमणकरी घुसने नही देंगे। अपने धर्म औऱ संस्कृति की रक्षा करेंगे यही वास्तव में स्वतन्त्रता का असली अमृत महोत्सव है। उन्होंने गाजीपुर का नाम बदलकर गाधीपुरी करने की मांग की। अंत में कृष्ण सुदामा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के प्रबंधक एवं भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश कोषाध्यक्ष डॉ विजय यादव ने आये सभी अतिथियों को अंगवस्त्र औऱ स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया व आभार व्यक्त किया। इसके बाद संजना सोनकर, स्नेहा यादव, खुशी कुमारी, प्रियांशी शर्मा, नीति सोनकर आदि ने वन्दे मातरम् गीत प्रस्तुत किया। इस मौके पर विधायक सुभाष पासी, रीना पासी, पारसनाथ राय, डा. नागेन्द्र सिंह, फैलू यादव, आनन्द मिश्रा, कमलेश, राजीव, रविन्द्र श्रीवास्तव, भानु प्रताप सिंह, सत्येन्द्र सिंह, रत्नेश त्यागी, अंकित जायसवाल, दयाशंकर पाण्डेय, मीरा श्रीवास्तव, नित्यानंद पाण्डेय, रमन, अंजुमन आदि रहे। अध्यक्षता सिद्धपीठ पलिवार के पीठाधिपति स्वामी परमानन्द पुरी महाराज व संचालन डॉ सन्तोष मिश्रा ने किया।



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