पिता की इच्छाशक्ति ने आसान की बेटी की जिंदगी, एनआरसी में जाकर अब सुपोषण की राह चलेगी मासूम





गोरखपुर। बड़हलगंज ब्लॉक के तिहा मुहम्मदपुर गांव के गौरीशंकर अब दूसरों को भी बताते हैं कि अगर बच्चा कमजोर है तो बीआरडी मेडिकल कालेज लेकर जाएं, वहां सारी सुविधाएं हैं। वो दूसरों को जो राह दिखा रहे हैं, जिन्हें कुछ समय पहले तक उन्हें खुद इस बारे में जानकारी नहीं थी। उनकी चाह थी कि तीन वर्षीय बेटी स्वस्थ हो जाए। चाह होते हुए भी वह पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) जाने की हिम्मत इसलिए नहीं जुटा पा रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि कहां भटकेंगे। उनके इस डर को दूर करने में मददगार बनी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) डेरवा की टीम, जिसने बच्ची को परिवार समेत मेडिकल कालेज पहुंचाया और वहां रहने के बाद बेटी प्रियांजल सुपोषित हो चुकी है। गौरीशंकर बताते हैं कि प्रियांजल उनकी तीसरी बेटी है। वह काफी कमजोर थी। तीन साल की उम्र में उसका वजन केवल सात किलोग्राम था। कुछ भी खाती थी तो पचता नहीं था। लॉकडाउन में वह मुंबई छोड़ कर घर लौट आए और मजदूरी करने लगे। बेटी को कई चिकित्सकों को दिखाया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने उन्हें बेटी को एनआरसी ले जाने का सुझाव दिया लेकिन वह इस डर से तैयार नहीं हुए कि घर का खर्चा कैसे चलेगा। गोरखपुर जाकर कहां भटकेंगे। कई शंकाए मन में थीं। बड़हलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉ. मंजर सोनी को भी दिखाया तो एनआरसी जाने की सलाह मिली। फिर वही डर आड़े आ गया। उन्हें बड़हलगंज सीएचसी के अधीक्षक डॉ. वीके राय ने आरबीएसके टीम का नंबर दिया और फिर गौरीशंकर ने टीम के सदस्य अमित से बात की। अमित ने टीम के चिकित्सक डॉ. राकेश, डॉ. अरशद और स्टॉफ नर्स रेखा यादव के साथ चर्चा करने के बाद बच्ची को एनआरसी ले जाने को तैयार हुए। अमित बताते हैं कि गौरीशंकर को यह समझाया गया कि बच्ची को सारी सुविधाएं निःशुल्क मिलेंगी और साथ में रहने वाले एक सदस्य के खाने पीने की सुविधा भी निःशुल्क होगी। आरबीएसके की सरकारी गाड़ी से गौरीशंकर, उनकी पत्नी और बच्ची को एनआरसी ले जाया गया। गौरीशंकर का कहना है कि एनआरसी में उनकी पत्नी बच्ची के साथ रहती थी और वह मेडिकल कालेज के बाहर दिन में मजदूरी कर लिया करते थे। इस तरह घर का भी खर्चा चलता रहा और बच्ची की देखरेख भी होती रही। दूध, अंडा, फल और इलाज सबकुछ मिला। 14 दिन बाद एनआरसी से जब बच्ची डिस्चार्ज हुई तो वजन आठ किलोग्राम से अधिक हो गया था। बच्ची अब स्वस्थ है। बता दें कि जिले के बीआरडी मेडिकल कालेज में पोषण पुनर्वांस केंद्र (एनआरसी) का संचालन किया जा रहा है, जहां तीव्र कुपोषित बच्चों को भर्ती कर सुपोषित बनाया जाता है। लोग बच्चों के साथ वहां जाने के लिए तैयार नहीं होते हैं, जबकि वहां बच्चों के लिए ढेर सारी सुविधाएं हैं। एनआरसी की सभी सुविधाएं निःशुल्क हैं। बच्चों के इलाज के अलावा दोनों समय भोजन और एक केयर टेकर को भी निःशुल्क भोजन मिलता है। भर्ती बच्चों को दोनों समय दूध और अंडा दिया जाता है। जो अभिभावक बच्चे के साथ रहते हैं, उन्हें 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से उनके खाते में दिए जाते हैं। जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को एनआरसी ले जाती हैं उन्हें सिर्फ एक बार 50 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। केंद्र में भर्ती कराने से बच्चे को नया जीवन मिलता है। केंद्र में प्रशिक्षित चिकित्सक और स्टाफ नर्स बच्चों की देखभाल करती हैं। आरबीएसके की डीईआईसी मैनेजर डॉ. अर्चना ने बताया कि आरबीएसके टीम सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और प्राथमिक विद्यालयों का भ्रमण करती है। अगर किसी का बच्चा अति कुपोषित है तो वह टीम से संपर्क कर बच्चे को एनआरसी का लाभ दिलवा सकता है। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद भी आरबीएसके टीम तक पहुंचने में ली जा सकती है। कोविड काल और बाढ़ के कठिन दौर में भी आठ बच्चों को एनआरसी की सुविधा दिलायी गयी है।



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