विश्व दिव्यांग दिवस विशेष : फाइलेरिया के दिव्यांगों ने साझा किया दर्द, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की मांग





गोरखपुर। विश्व दिव्यांग दिवस पर पीड़ितों ने अपना दर्द साझा किया। कानपुर के घाटमपुर तहसील के भदरस निवासी 70 वर्षीय मुल्लू ने कहा कि वह पिछले 25 वर्षों से हाइड्रोसील से पीड़ित हैं। उनके अंडकोष का वजन करीब 10 किलोग्राम हो गया है, जिससे उनका उठना-बैठना और चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। यहाँ तक कि मजबूरी में शौच क्रिया भी खड़े होकर करनी पड़ती है। अगर सरकारी योजना के तहत उन्हें ट्राई साइकिल मिल जाती और कमोड वाले शौचालय की व्यवस्था हो जाती तो उनका जीवन कुछ आसान बन जाता। कानपुर के भदरस गाँव की ही 60 वर्षीया रामवती का भी कहना है कि वह पिछले 25 वर्षों से पैरों की सूजन (फाइलेरिया) से ग्रसित हैं, आपरेशन भी कराया लेकिन पैर की सूजन और बढ़ गई। पैर का वजन अब 20 किलो के करीब हो गया है। कमोड वाले शौचालय की व्यवस्था हो जाती तो उनका जीवन कुछ आसान बन जाता। इसी तरह की मांग लखनऊ के बख्शी तालाब के हरदुआरपुर निवासी 48 वर्षीया सुशीला रावत की भी है, जो करीब 20 वर्षों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं। इसी गाँव के 37 वर्षीय सोनपाल का कहना है कि वह पिछले 16 वर्षों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं, जिस कारण कमाई का जरिया ठप हो गया है। यही स्थिति हमारे गाँव के 20-25 अन्य लोगों की भी है। सरकार से मांग है कि उनके जीवनयापन के लिए कोई आर्थिक मदद की जाए या किसी योजना से जोड़कर उनकी कमाई की कोई व्यवस्था की जाए। वहीं दिव्यांगता प्रमाणपत्र न मिल पाने से इन लोगों में मायूसी भी है। गौरतलब है कि फाइलेरिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो व्यक्ति को पूरी तरह से या फिर आंशिक रूप से अपंग अथवा दिव्यांग बना देती है। कई बार तो यह बीमारी इस कदर अपना असर दिखाती है कि व्यक्ति के लिए दैनिक क्रियाएं और रोजमर्रा के काम करना भी मुश्किल हो जाता है और पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो जाता है। हर साल तीन दिसम्बर को विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उदेश्य दिव्यांगों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उनको अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। इसी दिवस पर फाइलेरिया से दिव्यांग हुए लोगों की भी मांग है कि उन्हें भी अन्य श्रेणी के दिव्यांगों की तरह सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाए। फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं, जैसे कि अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, अंडकोष में सूजन आदि होता है।



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