पुरुष नसबंदी पखवाड़ा शुरू, चार दिसम्बर तक दो चरणों में चलेगा पखवाड़ा, किया जाएगा जागरूक
गोरखपुर। पुरुष नसबंदी पखवाड़े का सोमवार को दंपति संपर्क चरण के जरिये आगाज हो गया। यह चरण 28 नवम्बर तक चलेगा और इसके बाद 29 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक पुरुष नसबंदी की सेवा प्रदान की जाएगी। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने पत्र जारी कर स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (एचईओ), बीसीपीएम, बीपीएम, आशा संगिनी और एएनएम की जवाबदेही तय कर दी है। इन सभी की देखरेख में आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान पुरुष नसबंदी के लाभार्थियों को प्रेरित करेंगी । इस वर्ष की पखवाड़े की थीम है-पुरुषों ने परिवार नियोजन अपनाया, सुखी परिवार का आधार बनाया। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) डॉ. नंद कुमार ने बताया कि प्रत्येक ब्लॉक के एचईओ, बीसीपीएम और आशा संगिनी मिल कर कम से कम दो पुरुष नसबंदी करवाएंगे। इसी प्रकार ब्लॉक शोध अधिकारी, बीपीएम और एएनएम मिल कर दो पुरुष नसबंदी करवाएंगे। जिले के प्रत्येक शहरी स्वास्थ्य केंद्र को भी दो-दो पुरुष नसबंदी करवाना है। हौसला साझेदारी के तहत कार्य कर रहे सूर्या क्लिनिक को 10 नसबंदी की जिम्मेदारी दी गयी है। इस कार्य में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) से जुड़े जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ, जबकि शहरी क्षेत्र में स्वयंसेवी संस्था पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल (पीएसआई)-द चैलेंज इनीशिएटिव फॉर हेल्दी सिटीज (टीसीआईएचसी) की टीम तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी। डॉ. कुमार ने बताया कि पखवाड़े के दौरान सोमवार से शनिवार तक सीएचसी पिपराईच, प्रकाश सर्जिकल और सूर्या क्लिनिक पर निःशुल्क पुरुष नसबंदी की सेवा उपलब्ध रहेगी, जबकि जिला महिला अस्पताल में मंगलवार से शनिवार तक यह सुविधा उपलब्ध कराने का दिशा-निर्देश है। निर्धारित सेवा दिवसों पर भी महिला नसबंदी के साथ-साथ पुरुष नसबंदी की सुविधा उपलब्ध रहेगी। पखवाड़े के दौरान जो ब्लॉक अच्छा प्रदर्शन करेंगे उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में कोविड काल का पुरुष नसबंदी पर प्रतिकूल असर पड़ा है लेकिन अब धीरे-धीरे सेवाएं और बेहतर हो रही हैं। अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक इस साल केवल 22 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। पिछले वित्तीय वर्ष में 51 पुरुष नसबंदी हुई है। जिले में वर्ष 2019-20 में 287 पुरुषों ने नसबंदी करवाई थी, जबकि यह आंकड़ा वर्ष 2018-19 में महज 84 था। मिथक, भय और भ्रांतियों के कारण भी पुरुष नसबंदी के लिए आगे नहीं आते हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है।