वर्चुअल काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन, देश भर के कवियों व शायरों ने बांधा समां





आजमगढ़। बिंद्राबाजार की संस्था सप्रेम संस्थान के तत्वावधान में सप्रेम कवि सभा के अन्तर्गत शुक्रवार की रात ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देश से लगभग 25 कवि व शायरों ने अपने उद्गार कविता, दोहे, मुक्तक, तुकान्त एवं ग़ज़लों के माध्यम से व्यक्त किये। मुम्बई के अतुल धवन के अतुकान्त कविता से आरंभ हुई गोष्ठी दिल्ली से प्रगतिशील साहित्य के सम्पादक रामकुमार सेवक के कविता एवं अध्यक्षीय भाषण से खत्म हुई। श्री सेवक ने खुली कविता में कहा कि ’प्रेम के स्वप्न को आँसू से नहीं, विशालता और स्नेह से आगे बढ़ाना है, प्रेम के फूलों से सप्रेम संस्थान को सजाना है’। आज़मगढ़ से कवि सूर्यनाथ सरोज ने कहा कि ’कथनी सुन-सुन कान थक गये, करनी पर एतबार करें हम’, वाराणसी से रचना त्रिपाठी ने ‘चलो कांटों को हटा, प्रेम से सँवारें इस धरा को’ प्रस्तुत किया। कोलकाता से ग़ज़लकार कमल पुरोहित ने ग़ज़ल में कहा कि ’सूख चुके हैं फूल प्रेम के जिनके दिल में, उनके दिल पर प्रेम भरी बौछार करें हम’। वहीं संस्थान के अध्यक्ष डॉ. पुष्पेंद्र पुष्प ने ’अजी छोड़ के कीना सबसे प्यार करें हम, चलो प्रेम के सपनों को साकार करें हम’ लाइनें प्रस्तुत की। सागर देहलवी ने कहा कि सुखमयी जीवन साथ सुखी संसार करें हम। गोवा से कपिल सरोज जी के कविता की पंक्ति थी, ’नफरतों को छोड़ के साथी प्यार कर बस प्यार कर, चार दिन की ज़िंदगी न बेवजह बेकार कर’। कोलकाता से एक और शायर कृष्ण कुमार दूबे ने ग़ज़ल में कहा कि ‘रखें मन मे सदाशयता, ज़ुबा पर प्रेम की गाथा, करें सम्मान सबका और रखें वश में मन अपना’। रचनाओं पर लोगों ने जमकर तालियां बजाईं। इस मौके पर रितेश कुमार साहिल, डॉ पूनम त्रिपाठी, डॉ राजमणि, प्रीति मगन, अमित नासमझ, अश्वनी ज़तन, रोहित अस्थाना, विनोद कवि, सुरेश मेहरा आदि ने प्रस्तुति दी। संस्थान के कोऑर्डिनेटर धर्मेन्द्र अस्थाना ने आभार व्यक्त किया। संचालन दिल्ली के विवेक रफ़ीक़ व अशोक मेहरा ने किया।



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