कोतवाली में सीज की गई बाइक बिना रिलीज हुए न्यायालय परिसर में खड़ी मिली, पुलिस पर आई आंच, लग रहे आरोप
सैदपुर। स्थानीय मुंसफी परिसर में मंगलवार की दोपहर उस समय खलबली मच गई जब सीज की गई बाइक रिलीज कराने पहुंची महिला को मुंसफी व डायट के संयुक्त गली में खड़ी वह बाइक दिखी। महिला ने अपने वकील को बताया कि जिस बाइक को रिलीज कराने आई हूं, वह यहीं पर खड़ी है। इसका पता चलते ही पुलिस में खलबली मच गई। वरिष्ठ उप निरीक्षक घनानंद त्रिपाठी व कस्बा चौकी इंचार्ज देवेंद्र बहादुर सिंह ने पहुंचकर सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कुमार पांडेय एवं अन्य अधिवक्ताओं से बातचीत कर किसी तरह मामला निपटाया। बाइक को थाना से ही रिलीज करा दिया गया और महिला बाइक को लेकर चली गई। बता दें कि बीते 24 मई को औड़िहार में हुए ट्रक व बाइक के बीच हुए भिड़ंत में वाराणसी के पहड़िया निवासी मनोज जायसवाल की मौत हो गई थी। उस समय मनोज की बाइक को सीज कर दिया गया था। दोपहर में मृतक मनोज की विधवा शारदा देवी अपने पुत्र के साथ सीज की गई बाइक को रिलीज कराने के लिए मुंसफी में अपने अधिवक्ता के पास पहुंची, तभी रास्ते में मुंसफी व डायट के संयुक्त गली में वह बाइक दिख गई। महिला ने अपने वकील के पास पहुंचकर मामला बताया तो अधिवक्ता अपने-अपने टेबल से उठकर बाइक के पास पहुंच गए। मामले का पता चलते ही वरिष्ठ उप निरीक्षक व कस्बा चौकी इंचार्ज समेत पुलिसकर्मी पहुंच गए। बाइक मुंसफी वहां कैसे पहुंची इसका सटीक जवाब पुलिस नहीं दे पा रही थी। काफी देर के जद्दोजहद के बाद सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कुमार पांडेय व अन्य अधिवक्ताओं से बातचीत कर मामले का निबटारा हुआ। बाइक को थाना से ही पुलिस द्वारा छोड़ दिया गया। कस्बा चौकी इंचार्ज ने बताया कि बाइक सीज होती तो जीडी में दर्ज होती लेकिन ऐसा नहीं है। थाना के हेड मुहर्रिर गुलाब पांडेय ने बताया कि बाइक को सीज नहीं किया गया था। इधर वाकये का पता चलते ही अधिवक्ताओं ने आरोप लगाना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि कोतवाली में खड़ी बाइक को यहां तक बिना पुलिसकर्मी की मदद के कोई नहीं ला सकता है। अधिवक्ताओं का कहना था कि घटना के बाद ट्रक के खिलाफ एफआईआर हुआ था, ऐसे में उस एफआईआर में बाइक व उसके नंबर का जिक्र न हो, ये संभव ही नहीं है। पुलिस अपनी गर्दन बचाने के लिए जीडी में दर्ज न होने की बात कर रही है। वहीं मृतक की पत्नी शारदा ने कहा कि ये बाइक यहां कैसे आई, वो नहीं जानतीं। वो तो बाइक छुड़ाने आई थीं और बिना न्यायालय के आदेश के यहां बाइक पहले से ही घूम रही है।