एमएलसी से नजदीकी जता सीएम ने संगीता को पहना दिया राज्यमंत्री का ताज, एमएलसी ने सैदपुर में कराई थी योगी की ऐतिहासिक रैली



आकाश बरनवाल



गाजीपुर। आगामी 2022 विधानसभा चुनाव के चलते जातिगत आंकड़े को साधने के लिए योगी सरकार के मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में भले ही गाजीपुर सदर की विधायक बनीं संगीता बलवंत को राज्यमंत्री बना दिया गया हो लेकिन इसके साथ ही सवाल शुरू हो गए हैं। बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने व विधायक बनने वाली डॉ. संगीता बलवंत के पहली बार में ही मंत्री बनने के बाद लोगों में कानाफूसी शुरू हो गई है। लोगों का ये कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू से ही गाजीपुर में विशाल सिंह को तवज्जो दी जाती थी। खुले मंच से लगायत कई ऐसे मौके आए जब मुख्यमंत्री ने अपने व्यवहार से ये जताया कि गाजीपुर व पूर्वांचल में एमएलसी उनके बेहद खास हैं। सैदपुर के मलिकपुर स्थित राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के घर पर आने के दौरान तो सीएम ने एमएलसी से नजदीकी दिखाते हुए उन्हें अपने उड़नखटोले भी साथ सैर कराई थी। जिसके बाद पूरे जिले में इस बात की चर्चा शुरू हो गई थी कि एमएलसी का योगी मंत्रिमंडल में मंत्री बनना तय है। अभी कुछ दिनों पूर्व सैदपुर में हुए योगी के कार्यक्रम को भी एमएलसी ने शत प्रतिशत ढंग से सफल बनाया था। टाउन नेशनल इंटर कॉलेज के मैदान में योगी को सुनने के लिए जिस संख्या में भीड़ जुटी थी, राजनैतिक पंडितों के अनुसार, वैसी भीड़ इस मैदान में आज तक कभी नहीं जुटी थी। जबकि इसके पूर्व इसी मैदान पर गृहमंत्री अमित शाह से लगायत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सपा सरकार में नंबर दो की पोजिशन वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव, अखिलेश यादव की पत्नी व सांसद डिंपल यादव आदि कई दिग्गजों ने अपनी जनसभाएं की हैं। लेकिन सबसे अधिक भीड़ सीएम योगी के कार्यक्रम में ही देखने को मिला था। इस कार्यक्रम को एमएलसी का शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा था। इसके अलावा एमएलसी चंचल व सैदपुर के डॉ. मुकेश सिंह का सबसे बड़ा योगदान ये भी है कि उन्होंने गाजीपुर में पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जिताकर भाजपा की झोली में डाला। ये चुनाव भाजपा के लिए बेहद जरूरी था, क्योंकि विकास पुरूष के नाम से पूरे देश में मशहूर मनोज सिन्हा की पिछले लोकसभा चुनाव में गाजीपुर से हार हुई थी और इस हार का असर व विपक्ष की जीत का खुमार विधानसभा चुनाव के पूर्व खत्म करने के लिए भाजपा को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की ये जीत संजीवनी के रूप में चाहिए थी, जिसे एमएलसी ने भाजपा को दिलाई भी। इधर विशाल सिंह के समर्थक शुरू से ही उनके मंत्री बनने का इंतजार करने लगे। पहली बार जब 2019 में मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ तो उस समय भी एमएलसी के मंत्री बनने के कयास थे, साथ ही संगीता बलवंत के भी कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन दोनों में से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया। अब चुनाव के 5 माह पूर्व हुए दूसरे विस्तार में भी कयास लगाए जा रहे थे कि एमएलसी को मंत्री बनाकर मुख्यमंत्री करीबी होने का एहसास दिलाएंगे। लेकिन अबकी बार भी करीबी माने जाने वाले एमएलसी को कोई प्रभार नहीं दिया गया और बिंद जाति से आने वाली संगीता बलवंत को राज्यमंत्री की शपथ दिला दी गई। हैरानी की बात ये भी है कि पूर्व सपा सरकार में गाजीपुर के खाते में दो कैबिनेट मंत्री से लगायत राज्य व कई दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री थे। लेकिन भाजपा सरकार में गाजीपुर के खाते में ये राज्यमंत्री का पद सत्ता के आखिरी पलों में तब आया है, जब आगामी कुछ ही दिनों में चुनाव की घोषणा हो जाएगी और आदर्श आचार संहिता लगाकर मंत्रियों की ताकत को न्यून कर दिया जाएगा।



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