गोरखपुर : नाइट ब्लड सर्वे करके 4000 लोगों के बीच ढूंढे जाएंगे फाइलेरिया के मरीज, चलेगा महाभियान
गोरखपुर। जिले में करीब 4000 लोगों के बीच फाइलेरिया के मरीज ढूंढे जाएंगे। इसके लिए 20 से 25 अगस्त तक नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत चार सेंटीनल और चार रेंडम साइट्स पर रात में 8.30 बजे के बाद लोगों के खून के नमूने लिये जाएंगे। यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. अंगद सिंह ने दी। उन्होंने लोगों से अपील की है कि जब टीम संबंधित गांव में जांच के लिए पहुंचे तो लोग खुद आगे आकर नमूने दें। संबंधित गांव की आशा कार्यकर्ता सर्वे के संबंध में घर-घर जाकर जानकारी देंगी। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि सेंटीनल साइट्स का चुनाव पांच साल के लिए किया जाता है। यह वह स्थान होते हैं जो फाइलेरिया की दृष्टि से संवेदनशील होते हैं और केस ज्यादा मिलते हैं। सहजनवां ब्लॉक का महुआछापर, कैंपियरगंज ब्लॉक का महावनखोर, गगहा ब्लॉक का देवकली-लखेड़ी व नगवा-ठठोली गांव जबकि महानगर के झरना टोला का विशुनपुरवा, जीतपुर व दरगहिया सेंटीनल साइट्स में आते हैं। रैंडम साइट्स वह होते हैं जो हर साल बदलते रहते हैं और इनका चुनाव फाइलेरिया की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। डेरवा स्वास्थ्य केंद्र के तहत बैरिया खास, पिपराईच का महुअवा खुर्द, बांसगांव का भुसवल और महानगर के मोहद्दीपुर का तरकुलानी मोहल्ला व मल्लाही को रैंडम साइट के तौर पर इस साल चुना गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि झरना टोला के लिए पांच लोगों की टीम, जबकि अन्य सभी साइट्स पर चार-चार लोगों की टीम नाइट ब्लड सर्वे करेगी। इस टीम के साथ गांव की एक आशा कार्यकर्ता भी सहयोग के लिए लगाई गयी हैं। सहायक मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे, सीपी मिश्रा, फाइलेरिया इंस्पेक्टर सुप्रिया वर्मा, आशीष कुमार सिंह, सीनियर मलेरिया इंसपेक्टर प्रभात रंजन सिंह, मलेरिया इंस्पेक्टर प्रवीण पांडेय, राहुल सिंह, रवि मल्ल, आस्तिक पांडेय और नीरज पाल को रात्रिकालीन जनपद स्तरीय पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी गयी है। समूचा अभियान कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत सुनिश्चित किया जाएगा और लोगों को मॉस्क लगा कर जांच के लिए आना होगा। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि टीम के सभी 33 लोगों और पर्यवेक्षण से जुड़े लोगों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इस साल का अभियान नये लेंसेट के सहयोग से चलेगा, इसलिए टीम को समझाया गया है कि लेंसेट का दबाव ऐसा होना चाहिए कि कम से कम चार बूंद खून अवश्य निकले। प्रत्येक साइट से कम से कम 500 लोगों के खून का नमूना लिया जाना है। डॉ. सिंह ने बताया कि असुरन चौक के पास स्थित लालकोठी में सभी कार्यदिवसों पर रात्रिकालीन फाइलेरिया जांच क्लिनिक चलती है। इस क्लिनिक पर कोई भी रात में 8.30 बजे के बाद जांच करवा सकता है। इस साल जनवरी से लेकर जुलाई माह तक क्लिनिक पर हुई जांच में फाइलेरिया के कुल 22 नये रोगी पाए गए हैं। जांच और इलाज की सुविधा निःशुल्क है। बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए हर वर्ष मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कैंपेन चलता है। इस दौरान अल्बेंडाजोल और डीईसी दवा निःशुल्क खिलाई जाती है। अगर छह साल लगातार इस दवा का सेवन कर लिया जाए तो फाइलेरिया की जटिलताएं नहीं बढ़ पाती हैं और इसके परजीवी नष्ट हो जाते हैं।