लोकतंत्र के लिए एक शर्म है अप्रत्यक्ष चुनाव व्यवस्था, खुद को स्वच्छ पार्टी कहने वाली भाजपा कर सकेगी इसे खत्म करने की हिम्मत?



अमित सहाय



बहरियाबाद। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लोकतन्त्र में सामंती व्यवस्था का अवशेष है। इससे सामंती प्रवृत्तियों को पोषण मिलता है। लोकतन्त्र में सारे प्रतिनिधि जनता के प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुने जाने चाहिए। ग्राम प्रधान और ज़िला परिषद की तरह जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चयन भी जनता के प्रत्यक्ष मतदान से होना चाहिए। सत्ता के ये चुनाव माफियाओं, बाहुबलियों और ठेकेदारों की शरणस्थली है। अपराध, अपरहण, खरीद-फरोख्त, धमकी और सत्ताधारी दल व प्रशासन का सहयोग, इस चुनाव की प्राथमिक योग्यता है। सीट आरक्षित होने की स्थिति में ये सामंती लोग अपने ड्राइवर, घरेलू नौकर, चौकीदार आदि को ही कैंडिडेट बना कर अपना वर्चस्व और नियंत्रण बरकरार रखते हैं। इसलिए पंचायत चुनाव में सुधार कर इस अप्रत्यक्ष चुनाव व्यवस्था को ख़त्म करते हुए इसे भी जनता के जिम्मे सौंप देना चाहिए। यह व्यवस्था लोकतन्त्र के लिए एक शर्म है। लोग बंगाल पंचायत चुनाव बनाम उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव तथा सपा सरकार बनाम भाजपा सरकार का तर्क देकर मूल समस्या की अनदेखी कर देते हैं। मूल समस्या ब्लॉक प्रमुख और ज़िला पंचायत अध्यक्ष की अप्रत्यक्ष चुनाव पद्धति में है। इनका चयन जनता के प्रत्यक्ष मतदान द्वारा होना चाहिए। लेकिन देखना ये है कि स्वच्छ पार्टी का दावा करने वाली भाजपा सरकार क्या इस व्यवस्था को लागू कराने के प्रति सोचने की जहमत उठाएगी?



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