आरटीआई कानून को भी ताक पर रख दे रहे अधिकारी, जिला पूर्ति विभाग ने दी अनावश्यक जानकारी देकर पल्ला झाड़ने का आया मामला
बहरियाबाद। क्षेत्र के बहरियाबाद से जन सूचना अधिकार के तहत शिकायतकर्ता को जिला पूर्ति विभाग द्वारा अनावश्यक सूचना देकर मामले को रफा-दफा करने के प्रयास का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले के खुलने के बाद विभाग में खलबली मच गई है। मामला कुछ यूँ है कि पिछले दिनों सादात विकास खंड के इब्राहिमपुर निवासी शिवकुमार सिंह सोनू ने पूर्ति विभाग को ऑनलाइन पत्र लिखकर पूछा था कि कोटेदारों द्वारा राशन वितरण करने के बाद उक्त माह की खाली बोरी का क्या होता है और उसे कैसे डिस्पोज किया जाता है? क्या वो खाली राशन की बोरियां विभाग में जमा कर दी जाती हैं या कोटेदार द्वारा उन्हें बाजार में बेच दिया जाता है? अगर बेच दिया जाता है तो क्या उससे मिले रूपए सरकार के खजाने में जमा होतें हैं या उन्हें कोटेदार अपने पास ही रख लेते हैं। इस बात की जानकारी मांगने के बाद जखनियां के पूर्ति निरीक्षक ने समुचित जानकारी उपलब्ध कराने की बजाय जिला पूर्ति अधिकारी के माध्यम से शिकायतकर्ता को कोटेदार द्वारा मानक के अनुसार राशन उपलब्ध कराए जाने की सूचना देकर शिक़ायत को निस्तारित करने की संस्तुति करने की बात कह दी है। इधर सही सूचना न मिलने पर शिकायतकर्ता द्वारा पुनः विभाग को ऑनलाइन पत्र लिखकर विभाग द्वारा गैर जिम्मेदाराना जवाब प्रस्तुत किए जाने की शिकायत की गई है और दोबारा जांच कर आवश्यक सूचना उपलब्ध कराने की मांग की गई है। जिसके बाद जवाब में जिला पूर्ति अधिकारी ने बीते 14 जून को पूर्ति निरीक्षक जखनियां को उक्त मामले में गंभीरता से पुनः परीक्षण कर नियमानुसार कार्रवाई करते हुए सात दिनों में आख्या उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। विभाग द्वारा इस तरह से गैर गैरजिम्मेदाराना जानकारी उपलब्ध कराने से जहाँ शिकायतकर्ता अनुत्तरित है, वहीं विभाग की भी किरकिरी हो रही हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि वर्ष 1997 से कोटा व्यवस्था लागू है। ख़ाली हुई बोरियों की कोई पारदर्शी व्यवस्था न होने से भ्रष्टाचार का होना स्वाभाविक है।