जान देकर चुकाई मां को प्रधान बनाने की कीमत, चुनाव के पूर्व गोलीकांड के घायल प्रधान पुत्र की मौत से गांव में तनाव, कई थानों की फोर्स तैनात





सादात। थानाक्षेत्र के गौरा गांव में चुनावी रंजिश के चलते मतदान के एक दिन पूर्व गोली मारने के चलते घायल चल रहे नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान के पुत्र की आखिरकार इलाज के दौरान मौत हो गई। जिसके बाद पूरे गांव में तनाव की स्थिति बन गई। घटना के बाद मौके पर पहुंचे क्षेत्राधिकारी बीएस वीर कुमार सादात थानाध्यक्ष दिव्यकुमार सिंह समेत कई थानों की फोर्स को लेकर मौके पर पहुंचे और स्थिति देखी। गौरा गांव में प्रधान पद की सीट आरक्षित थी। जिस पर गांव की धनपति देवी पत्नी नंदलाल राम समेत 3 चुनाव लड़ रहे थे। बीते 28 अप्रैल को धनपति का पुत्र महावीर राम उर्फ डबलू 30 मां के समर्थन में वोट मांगने के लिए गांव में गया था। इस बीच सुनसान स्थान पर कुछ दबंगों ने उसे घेर लिया और पीटकर लहूलुहान करने के साथ ही उसे गोली मार दी। जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गया। गोली की आवाज सुनकर जब ग्रामीण वहां पहुंचे तो बदमाश फरार हो गए। इसके बाद नंदलाल को अस्पताल पहुंचाने के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने इस घटना का सूत्रधार पूर्व ग्राम प्रधान मनोज सिंह को मानते हुए उनके घर पहुंचे और उनके घर के बाहर खड़े वाहनों में आगजनी करते हुए घर में तोड़फोड़ करने लगे। इधर सूचना पाकर मौके पर पहुंचे एसपी ओपी सिंह ने आक्रोशित भीड़ को समझाकर मामला शांत कराया। इधर घटना के बाद से ही घायल महावीर का उपचार बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में चल रहा था। इस बीच चुनाव हुए और चुनाव में गोलीकांड के शिकार महावीर की मां धनपति देवी को जनता ने ग्राम प्रधान चुन लिया। जनता ने मां को तो प्रधान चुन लिया लेकिन उस प्रधान पद की कीमत धनपति देवी को अपना बेटा खोकर चुकानी पड़ी और आखिरकार बीएचयू में इलाज के दौरान मंगलवार को महावीर की मौत हो गई। नवनिर्वाचित प्रधान के पुत्र की मौत की सूचना गांव में मिलते ही एक बार फिर से तनाव की स्थिति बन गई। वहीं 28 अप्रैल की घटना से सबक लेते हुए मौके पर सीओ बीएस वीर कुमार कई थानों की फोर्स लेकर पहुंचे और पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया। घटना के बाबत सीओ ने कहा कि तहरीर मिली है, अब मौत के बाद मुकदमे में बदलाव करके आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी। वहीं मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। 931 मत पाकर बिंदू देवी को 385 मतों से हराकर ग्राम प्रधान बन चुकी मां धनपति असहाय होकर बार-बार बिलख रही थी कि अब वो बिना बेटे के क्या करेगी, क्योंकि बेटे ने ही उसे ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ाया और जीत दिलाई थी।



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