चैत्र नवरात्रि : आस्था का प्रमुख केंद्र बना चकेरी धाम, महाभारत कालीन रहस्यमयी पोखरे का है धार्मिक महत्व
अशोक कुशवाहा<
देवकली। चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ मंगलवार से शुरू हो गया। पहले दिन क्षेत्र समेत हर देवी मंदिरों में मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा अर्चना की गई। इस दौरान सभी देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। इसी क्रम में क्षेत्र के चकेरी स्थित मां गंगा के तट पर स्थित चकेरी धाम में बना आदि शक्ति मां दुर्गा का मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति नवरात्रि में मां दुर्गा के सामने सिर नवाकर पूजन अर्चन करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। हालांकि कोरोना महामारी के चलते मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट आई है। इसके बावजूद यहां आने वाले श्रद्धालु कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए दर्शन करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। मंदिर की स्थापना के बारे में भी एक रोचक कहानी है। मान्यता के अनुसार, आदि शक्ति के प्राचीन मंदिर के समीप गंगा के किनारे महाभारत कालीन एक पोखरा है, जिसमें गंगा नदी का पानी भंवर के रूप में हमेशा चक्कर काटता है। पोखरे की गहराई नापने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन आज तक गहराई का पता नहीं चल सका। उसमें जो भी वस्तु डाली जाती है, वो लापता हो जाती है। इस पोखरे का भी बड़ा धार्मिक महत्व है। दो दशक पूर्व चकेरी धाम उस समय सुर्खियों मे आया जब धाम के महंथ संत त्रिवेणी दास महाराज ने लम्बे, ऊंचे व चौड़े चबूतरे पर विशाल मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर में 9 कुन्तल की संगमरमर से बनी भव्य प्रतिमा को जयपुर से मंगवाकर प्राण प्रतिष्ठा कराई। यहां प्रत्येक नवरात्रि व श्रावण में दर्शन करने के लिए भारी भीड़ लगती है। वहीं रामनवमी व पूर्णिमा को मेला भी लगता है। यहीं पास में राम, लक्ष्मण, मां सीता सहित हनुमान जी का भी प्राचीन मंदिर है। फिलहाल यहां विशाल शिव मंदिर का निर्माण कार्य जारी है।