31 मार्च तक चलेगा पोषण पखवाड़ा, नवजात की एंटीबॉडी बढ़ाने व रोगमुक्त करने के एसीएमओ ने बताए तरीके
गाजीपुर। गर्भवती और नवजात शिशु को पोषण और पोषण युक्त आहार देने के बारे में जागरूक करने के लिए आगामी 16 से 31 मार्च तक जिले में पोषण पखवाड़े का आयोजन किया गया है। एसीएमओ और एनएचएम के नोडल अधिकारी डॉ केके वर्मा ने बताया कि नवजात को समय पर स्तनपान करवाना बहुत जरूरी है। नवजात को हर दो से तीन घंटे में स्तनपान करवाया जाना चाहिए, इसका मतलब है कि 24 घंटों में उसे 8 से 12 बार स्तनपान कराने की आवश्यकता होती है। शिशु को जन्म के बाद पहले छः महीनों तक केवल माँ का दूध ही पिलाना चाहिए। माँ के दूध में महत्वपूर्ण पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे के स्वस्थ रहने और विकास के लिए आवश्यक होते हैं। शिशु को कम से कम दस मिनट के लिए स्तनपान कराएं। बाल रोग विशेषज्ञ और एसीएमओ डॉ उमेश कुमार ने बताया कि शिशु को दूध पिलाने के बाद उसे डकार दिलाना जरूरी होता है। शिशु दूध पीते समय हवा निगल लेते हैं, जिससे उनके पेट में गैस हो जाती है और यह पेट के दर्द का कारण बनता है। डकार दिलाने से यह अतिरिक्त हवा को बाहर निकालता है, इस प्रकार पाचन में सहायता करता है और दूध उलटने और पेट के दर्द को भी रोकता है। शिशु को धीरे से एक हाथ से अपने सीने से लगा लें। उसकी ठोड़ी आपके कंधे पर टिकी होनी चाहिए। अपने दूसरे हाथ से उसकी पीठ को बहुत धीरे से थपथपाएं जब तक वह डकार न ले। आप अपने बच्चे के सिर और गर्दन को एक हाथ से सहारा देते हुए उसे पकड़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि उसकी गर्दन की मांसपेशियां अभी तक स्वतंत्र रूप से सिर को संभालने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं हैं। रीढ़ की हड्डी अभी भी बढ़ रही है और मजबूत हो रही है। शिशु की गर्दन केवल तीन महीने की उम्र के बाद अपने दम पर सिर का संभालने में सक्षम होगी। इसलिए नवजात शिशु की देखभाल करते समय उसके सिर और गर्दन को सहारा देने पर ध्यान दें।